हेलो दोस्तों, आप सभी मसीही भाई बहनों का हमारे एक और लेख के माध्यम से Yeshu Aane Wala Hai Blog में स्वागत है। आज इस लेख के माध्यम से मैं आप लोगों को बताने वाला हूँ, राजा दाऊद के बारे में है। इस कहानी में, राजा दाऊद के जीवन के बारे में कुछ बातों को आज हम जानेगें। जैसे कि राजा दाऊद कौन थे? दाऊद का राजा के रूप में अभिषेक, राजा दाऊद के द्वारा गोलियत को मारा जाना, आदि। इसलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें, ताकि आप राजा दाऊद के बारे में बाइबिल के अनुसार और अच्छे से समझ सके। धन्यवाद
दाऊद की कहानी राजा दाऊद कौन था ?
जैसा कि बाइबिल हमें बताती हैं, कि राजा दाऊद पहले से एक राजा नहीं था। वो तो अपने आठ भाइयों में सबसे भाई था। दाऊद के पिता जी का नाम यिशै था। दाऊद बचपन में एक चरवाहा था, और अपने पिता की भेड़ बकरियों को चराया करता था। लेकिन फिर उसके जीवन में ऐसा क्या हुआ? कि वो एक चरवाहे से इस्राएल का राजा बन गया?
दाऊद को राजा होने के लिए चुना जाना
राजा शाऊल द्वारा आज्ञा का उल्लंघन
राजा शाऊल ने परमेश्वर की आज्ञाओं का उल्लंघन किया, इसलिए परमेश्वर ने शमूएल को उसके स्थान पर दूसरा राजा नियुक्त करने की आज्ञा दी। प्रभु ने शमूएल से कहा, ‘तू कब तक शाऊल की चिंता करता रहेगा। मैं उसे अब और इस्राएल के राजा के रूप में नहीं चाहता। शौल्के स्थान पर मैंने बैतलहम निवासी यिशै के पुत्रों में से एक को चुना है। जैतून का कुछ तेल लेकर वहां जा और उसे राजा कर के अभिषेक कर।”
शमूएल ने पूछा, “यह मैं कैसे कर सकता हूँ ? अगर शाऊल ने इस के विषय में सुन लिया, तो वह मुझे मार देगा।” प्रभु ने उत्तर दिया, “अपने साथ एक बछिया ले जा, और प्रत्येक को जानने दे कि तू वहां प्रभु के लिए एक बलिदान चढ़ाने आया है। मैं तुझे बताऊँगां कि क्या करना है और वह व्यक्ति दिखाऊँगा जिसे राजा बनाना है।”
शमूएल का बैतलहम जाना
राजा दाऊद की कहानी में आगे :- तब शमूएल बैतलहम गया। परमेश्वर के जन के वहाँ जाने पर नगर के पुरनिये डर गए। उन्होंने उससे पूछा, “तुम्हारे आने का उद्देश्य शांति है या लड़ाई?” शमूएल ने उनसे कहा, “मैं शांति लाया हूँ। मैं प्रभु को एक बलिदान चढ़ाने आया हूँ। यज्ञ में आने के लिए तैयार हो जाओ।” उसने यज्ञ में आने के लिए विशेष रूप से यिशै और उसके पुत्रों को न्योता दिया। जब वे आए तो यिशै का पुत्र एलीआब वहाँ था। शमूएल ने सोचा कि राजा होने के लिए प्रभु परमेश्वर की ओर से चुना हुआ यही है।
लेकिन प्रभु ने उससे कहा, “इस पर ध्यान मत दे कि वह कितना लम्बा और सूंदर है। मैं उसे नहीं चाहता, क्योकि मैं मनुष्य की तरह नहीं सोचता। मनुष्य बाहरी रूप को देखता है, परन्तु मैं हृदय को देखता हूँ।” तब यिशै ने अपने पुत्र अबीनादाब को भीतर आने को कहा। लेकिन शमूएल ने उससे कहा, “नहीं, प्रभु ने इसे भी नहीं चुना।” तब यिशै शम्मा को लाया। शमूएल ने उससे भी यही कहा, “नहीं, प्रभु ने इसे भी नहीं चुना” इस तरह यिशै अपने सात पुत्रों को शमूएल के सामने ले आया। शमूएल ने कहा, “नहीं, प्रभु ने इन में से किसी को भी नहीं चुना।” तब उसने उससे पूछा, “क्या तेरे और भी कोई पुत्र है?
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दाऊद का अभिषेक
यिशै ने उत्तर दिया, “सबसे छोटा अभी है। परन्तु वह तो भेड़ों की देखभाल के लिए बाहर गया है।” शमूएल ने कहा, “उसे बुलवा ले। हम तब तक बलिदान नहीं चढ़ायेंगे जब तक वह न आ जाये।” यिशै ने दाऊद को बुलाने भेजा। वह सूंदर और स्वस्थ नौजवान था। प्रभु ने शमूएल से कहा, “यही है, इसका राजा होने के लिए अभिषेक कर।” शमूएल ने थोड़ा जैतून का तेल लिया और दाऊद के सिर पर उंडेल दिया उसने उसे उसके भाइयों के सामने आशीष दी। उसी समय प्रभु के आत्मा का नियंत्रण दाऊद पर हो गया और वह उस दिन से उसके साथ रहा। तब शमूएल रामा को लौट गया। (1 शमूएल 16:1-13 )
इस्राएलियों को गोलियत की चुनौती
पलिश्तियो का इस्राएलियों को चुनौती
शाऊल और इस्राएली सेना पलिश्तियो की सेना एक पहाड़ से युद्ध करने की चोटी पर थी और इस्राएली सेना दूसरी तरफ पहाड़ पर थी। उनके बीच में एक तराई थी। गोलियत, एक लम्बा चौड़ा पलिश्ती अपनी छावनी से इस्राएलियों को चुनौती देता हुआ निकला। वह लगभग तीन मीटर लम्बा था। वह पीतल का एक भरी कवच और पीतल का टप पहिने था, उसके पैर भी पीतल के कवच से सुरक्षित थे। उसके पास पीतल का भाला था।
उसका भाला भारी और उसकी नौक लौहे की थी। उसके आगे एक सैनिक ढाल लिए हुए चलता था। गोलियत खड़ा हुआ और इस्राएलियों पर चिल्लाकर कहा, “हे शाऊल के गुलामों, तुम वहाँ क्या कर रहे हो? अपने एक पुरुष को चुन लो जो मुझ से लड़े। यदि वह जीते और मुझे मार दे, तो हम तुम्हारे गुलाम हो जायेंगे। मैं लड़ाई के लिए तुम्हे ललकारता हूँ।” शाऊल और उसके लोग और सैनिक इन शब्दों के द्वारा डरे हुए थे। (1 शमूएल 17:2 -11)
राजा दाऊद का साहस
दाऊद के तीन बड़े भाई इस्राएल की सेना में थे जिसका अगुवा राजा शाऊल था। गोलियत इस्राएलियों को चालीस दिन तक सुबह और शाम ललकारता रहा। एक दिन यिशै ने अपने पुत्र दाऊद से कहा, “जा और देख कि तेरे भाई सेना की छावनी में ठीक-ठाक है। अपने साथ यह भुना हुआ गेंहू और ये दस रोटियाँ ले जा। और ये दस पनीर के टुकड़े सेना के अधिकारी को दे देना।” राजा दाऊद दूसरे दिन सुबह जल्दी उठा। उसने भेड़ों की देखभाल के लिए किसी और को ठहराया।
उसने भोजन लिया और अपने भाइयों से मिलने चला गया। जब वह छावनी में पहुँचा, तब सेना लड़ाई के लिए ललकार रही थी। पलिश्ती और इस्राएली सेनाएँ, लड़ाई के लिए आमने-सामने तैयार खड़ी थीं। राजा दाऊद ने भोजन एक अधिकारी के पास छोड़ दिया और युद्ध भूमि की ओर दौड़ गया। वह अपने भाइयों के पास गया और पूछा कि वे कैसे है। उसी समय गोलियत सामने आया और इस्रालियों को फिर ललकारने लगा।
इस्राएलियों का डरकर भगाना
इस्राएलियों ने जब गोलियत को देखा, तो वे डर कर भागने लगे। वे एक-दूसरे से कहने लगे, “उसे देखो ! उसकी ललकार को सुनो ! राजा शाऊल ने उस व्यक्ति को एक बड़ा उपहार देने का वायदा किया है जो उसे मार देगा। राजा उससे अपनी बेटी का विवाह का देगा। यहाँ तक कि उसके परिवार को कर तक भी नहीं देना पड़ेगा।”
दाऊद ने पूछा, जो इस अधर्मी पलिश्ती को मारेगा उस मनुष्य को क्या मिलेगा? यह कौन है जो जीवित परमेश्वर की सेना को चुनौती दे।” राजा दाऊद के सबसे बड़े भाई ने दाऊद को लोगों से बातें करते सुना। वह दाऊद पर क्रोधित हुआ और कहा, “तू यहाँ क्या कर रहा है ? तेरी भेड़ों की देखभाल कौन कर रहा है? तू केवल लड़ाई देखने को आया था।” दाऊद ने पूछा, “मैं ने क्या किया है ? क्या मैं कुछ पूछ भी नहीं सकता?”
युद्ध के लिए तैयार दौड़ दाऊद
कुछ लोग शाऊल के पास गए और उसे दाऊद के बारे में बताया। तब राजा ने उसे बुलवाया। दाऊद ने शाऊल से कहा, “महाराज, इस पलिश्ती से किसी को नहीं डरना चाहिए। मैं जाकर उससे लड़ूँगा।” शाऊल ने उत्तर दिया, “नहीं तुम उससे कैसे लड़ सकोगे ? तुम तो केवल एक लड़के हो। वह तो अपने जीवन भर एक योद्धा रहा है।”पर प्रहार करके भेड़ या मेमने को वापस ले आता हूँ।
राजा दाऊद ने कहा, “महाराज, मैं अपने पिता की भेड़ों की देखभाल करता हूँ जब कभी कोई शेर या भालू, किसी भेड़ को उठा ले जाता है, तो मैं उसके पीछे जाता हूँ और उस
पर प्रहार करके भेड़ या मेमने को वापस ले आता हूँ। यदि शेर या भालू मुझ पर झपटता है तो मैं उसका जबड़ा पकड़ता और उसे मार डालता हूँ।
जो कुछ मैंने उन जंगली जानवरों के साथ किया, मैं गोलियत के साथ भी ऐसा ही करूँगा।वह जीवित परमेश्वर की सेना का मज़ाक उड़ता है। प्रभु जिसने मुझे शेरों और भालूओं से बचाया, मुझे इस पलिश्ती से भी बचायेगा।”
राजा दाऊद की युद्ध की तैयारी
शाऊल ने उत्तर दिया, “ठीक है, जा ! प्रभु तेरे साथ हो।” तब उसने अपने वस्त्र दाऊद को दिए। उसने दाऊद के सिर पर पीतल का टोप पहिनाया और उसे झिलम दी। दाऊद ने उस वस्त्र पर शाऊल की तलवार को कसा; जब उसने चलना चाहा तो वह चल न सका। उसने शाऊल से कहा, “मैं इस सब के साथ नहीं लड़ सकता।
मुझे इसका अभ्यास नहीं है।” तब उसने वह सब उतार दिया। तब उसने अपनी चरवाहे की लाठी ली। उसने पाँच चिकने पत्थर झरने पर से चुने और उन्हें अपने थैले में डाला। अपने तैयार गोफन के साथ गोलियत का सामना करने को चला। (1 शमूएल 17:12-40)
राजा दाऊद का गोलियत से लड़ना
गोलियत ने राजा दाऊद की ओर चलना शुरू किया। उसकी ढाल उठाने वाला उसके आगे चल रहा था। जब गोलियत बहुत निकट पहुँचा, उसने देखा दाऊद तो केवल एक लड़का था। उसने राजा दाऊद से कहा, “वह लाठी किस लिए है ? तू क्या सोचता है कि मैं कुत्ता हूँ ?” उसने अपने देवताओं के नाम से दाऊद को श्राप दिया। वह दाऊद पर चिल्लाकर कहने लगा, “इधर आ, में तेर शरीर को पक्षियों और जानवरों को खाने के लिए दूँगा।
दाऊद ने गोलियत को उत्तर दिया, “तू तो मेरे विरुद्ध अपनी तलवार, भाला और सांग को लिए हुए आ रहा है। लेकिन मैं तेरे विरुद्ध सर्वशक्तिमान प्रभु के नाम से आता हूँ, जिसको तूने तुच्छ जाना है। आज के दिन प्रभु तुझे मेरे अधीन कर देगा। मैं तुझे हरा दूँगा और तेरा सिर काट दूँगा। तब सारा संसार जान लेगा कि इस्राएलियों का एक ही परमेश्वर है सब लोग इस बात को जान लेंगे कि प्रभु को अपने लोगों को बचाने के लिए तलवार और भाले की आवश्यकता नहीं है वह सदा अपना युद्ध जीतता है वह तेरी सेना को हमारे लिए हरा देगा।”
गोलियत का मारा जाना
गोलियत ने पुनः राजा दाऊद की ओर बढ़ना शुरू किया, और दाऊद शीघ्र ही उसकी ओर दौड़ा। उसने अपनी थैली में से एक पत्थर लिया और उसे गोलियत पर मारा। वह सामने की ओर भूमि पर गिर पड़ा। इस प्रकार दाऊद ने गोलियत को केवल एक गोफन और एक पत्थर से हरा दिया और मार दिया। वह उसकी ओर दौड़ा और उसके ऊपर खड़ा हो गया। उसने गोलियत की तलवार खींची और उसका सर काट दिया।