युसूफ की कहानी भाग-2 | Story of Joseph Part-2

युसूफ की कहानी भाग-2 | Story of Joseph Part-2

दोस्तों, आप सभी मसीही भाई बहनों का हमारे एक और लेख के माध्यम से  Yeshu Aane Wala Hai Blog में स्वागत है। आज के इस लेख के माध्यम से बताने वाला हूँ, युसूफ की कहानी भाग-2 | Story of Joseph Part-2 के बारे में है। इस कहानी में, मिस्र देश में युसूफ के जीवन के आगे की घटनाओ को बतया गया है। इन सारी बातों को आज इस लेख के माध्यम से मैं आप तक पहुंचाने जा रहा हूं। इसलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें, ताकि आप इन बातों को और अच्छे से समझ सके। धन्यवाद

युसूफ की कहानी और मिस्र देश

पवित्र बाइबिल में, यूसुफ की कहानी कई मुख्य संदर्भों में पाई जाती है। परमेश्वर के द्वारा यूसुफ को मिस्र देश में भेजने के कई कारण थे, जिनमें से कुछ कारण ये हैं।

1 भविष्यवाणियाँ का पूरा होना :- परमेश्वर ने यूसुफ को उसके सपनों के द्वारा से भविष्यवाणियाँ दिखाई थीं। यूसुफ के सपनों ने यूसुफ और उसके परिवार को उनके भविष्य के बारे में सूचित किया। यूसुफ के सपनों के आधार पर, उनके भाइयों ने उसे इश्माएली व्यापारियों को बेच दिया, और फिर युसूफ मिस्र देश में राजा के सामने पहुँचा।

2 सामर्थ्य की पहचान :- यूसुफ ने मिस्र देश में परमेश्वर की सहयता से अपने प्रभावशाली और न्यायप्रिय व्यवहार के माध्यम से अपना सामर्थ्य सबके सामने साबित किया। युसूफ ने धैर्य, समझदारी, और प्रेरणा के साथ सब काम किया, जिससे उसकी पहचान लोगों में बहुत बढ़ी और उसे राजा का महत्वपूर्ण सलाहकार बनने का भी मौका मिला।

3 परमेश्वर की योजना :- यूसुफ के जीवन की कई घटनाओं को जब हम देखते है तो पते है, कि परमेश्वर ने एक महत्वपूर्ण योजना के हिस्से के रूप में उन घटनाओं को रचा। उसका उद्देश्य युसूफ के परिवार को बचाना, उन्हें उनके द्वारा किए गए अन्याय के बारे में समझाना, और अधिकतम संभव तरीके से उनकी सहायता करना शामिल था।

राजा के सपनों का अर्थ बताना

युसूफ की कहानी में आगे हम देखतें है, युसूफ ने राजा से कहा, “दोनों स्वपनों का एक ही अर्थ है। परमेश्वर ने आपको वह सब बता दिया है जो वह करने वाला है। सात मोटी गायें और सत् भरी बालें, सात भरपूरी के वर्ष है सात दुर्बल गायें और सात पतली बालें, अकाल के साथ वर्ष है पूरे मिस्र देश में सात वर्ष बहुतायत की फसल के होंगे और सात वर्ष अकाल के होंगे। इसलिए की अकाल बहुत भयंकर होगा, लोग अच्छे वर्षों को भूल जायेंगे। इससे देश नाश हो जायेगा। आप ने एक ही बात दो बार देखी है। परमेश्वर के द्वारा यह नियुक्त हो चुका है। वह इसे शीघ्र ही पूरा करेगा।

युसूफ की कहानी भाग-2 | Story of Joseph Part-2

यूसुफ का मिस्र देश का प्रधानमंत्री बनना

युसूफ ने मिस्र के राजा से कहा, “महाराजा, आप किसी बुद्धिमान और योग्य व्यक्ति को ढूँढ कर देश का प्रधान बनाये। आप और अधिकारियों को भी नियुक्त करे। वे भरपूरी के सात वर्षों में फसल का पंचमांश लिया करे। वे उस फसल को नगर – नगर में जमा करें और सुरक्षित रखें। अकाल के सात वर्षों के काल में भोजन देश के लिए पर्याप्त होगा। इस प्रकार लोग भूखे नहीं मरेंगे।

राजा और उसके अधिकारी इस योजना से सहमत हो गए। उसने उनसे कहा, “हमें युसूफ से भला मनुष्य नहीं मिल सकता। उसमे परमेश्वर का आत्मा रहता है।” राजा ने युसूफ से ये कहा, “परमेश्वर ने तुझ को यह सब कुछ दिखाया है। इससे यह बात स्पष्ट है, कि तू बाकी सब लोगों से अधिक बुद्धिमान मनुष्य है। मै तुझे अपने मिस्र देश का प्रधान मंत्री ठहराऊँगा। मेरे सब लोग अब तेरी आज्ञा मानेंगे। मेरे बाद अब इस देश में तू दूसरा व्यक्ति होगा। मै तुझे पुरे मिस्र देश पर अधिकारी ठहराता हूँ।

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युसूफ का राजकीय अभिषेक

तब राजा ने राजकीय मोहर वाली अपनी अँगूठी युसूफ की उँगली में पहना दी और उसने उसे बढ़िया मलमल के कपड़े पहिनवा दिये। और उसके गले में सोने की माला डाल दी। और उसको अपने दूसरे रथ पर चढ़वाया। और लोग युसूफ के आगे आगे यह कहते हुए चले, “मार्ग तैयार करो ! मार्ग तैयार करो !” राजा ने युसूफ को मिस्र देश पर प्रधान अधिकारी ठहराया।

राजा ने युसूफ से कहा, “मैं राजा हूँ। मैं आज्ञा देता हूँ कि मिस्र देश में कोई भी बिना तेरी आज्ञा के कुछ भी नहीं करेंगा।” उसने युसूफ को एक मिस्री नाम दिया और उसे एक याजक की पुत्री को जो मिस्री थी। उसकी पत्नी होने के लिए दिया। जब युसूफ मिस्र के राजा के यहाँ कार्य करने लगा, तब वह 30 वर्ष का था। वह सारे देश में दौरा करने लगा। उत्पति 41:14 -46

मिस्र देश में अकाल

युसूफ की योजना का पालन किया गया। जिस समय अकाल के सात वर्ष आए, मिस्र फसल की भरपूरी के साथ पूरी तरह तैयार था। अकाल के कारण याकूब ने अपने पुत्रों को मिस्र में भोजन खरीदने भेजा। परन्तु वे नहीं जानते थे कि जो व्यक्ति प्रधान है, वह युसूफ था। युसूफ ने बहाना बनाया मानो वे भेदिये है। परन्तु युसूफ वास्तव में अपने भाइयों से प्रेम करता था, उन्होंने युसूफ को अपने पिता के विषय में बताया और यह भी बताया कि वे अपने सबसे छोटे भाई को क्यों घर पर छोड़ कर आए थे।

जब वे लौटे, युसूफ ने चुपचाप उनका पैसा उनके बोरों में रखवा दिया। उसने उनसे कहा वे अगली बार कुछ भोजन नहीं खरीद सकेंगे जब तक कि वे अपने छोटे भाई बिन्यामीन को साथ न ले आएँ। युसूफ अपने छोटे भाई को देखने के लिए उत्सुक था।

बिन्यामीन का मिस्र देश में आना

याकूब के पुत्रो ने बिन्यामीन के बिना मिस्र जाने से इंकार किया। परिस्तिथियाँ यहाँ तक पहुँची कि याकूब ने बिन्यामीन को मिस्र जाने दिया, हालाँकि उसे यह डर था कि वह उसे दोबारा ह देखेंगा। जब युसूफ ने अपने भाई बिन्यामीन को देखा तो उसने कहा, “ये तुम्हारा सब से छोटा भाई है जिसके विषय में तुमने मुझसे कहा था। मेरे पुत्र परमेश्वर तुझे आशीष दें। ” परन्तु युसूफ जल्दी ही वहाँ से चला गया क्योकि वह रोने ही वाला था।

वह अपनी कोठरी में गया और वहाँ रोया। तब अपना मुँह धोकर लौट आया। बिना कुछ दर्शाए उसने भोजन परोसने की आज्ञा दी। युसूफ के लिए अलग मेज़ पर, और भाइयों के लिए दूसरी मेज़ पर परोसा गया। युसूफ के सामने मेज पर उसके भाई अपनी -अपनी आयु के अनुसार बैठाए गए थे। यह बात उनके लिए आश्चर्य की थी। युसूफ की मेज़ पर से उन्हें भोजन परोसा गया। बिन्यामीन को बाकी सब से अधिक परोसा गया। वे जितना-जितना खा सकते थे, उन्होंने खाया और पिया। उत्पति 43:29-34

युसूफ की कहानी | Story of Joseph

खोया हुआ कटोरा

युसूफ ने अपने मुख्य अधिकारी को ये आज्ञा दी, ” इन सभी मनुष्यो के बोरों में जितना अधिक-से-अधिक गेँहू, जिसे वे ले जा सकें, तुम भर दो। हर एक जन का रुपया भी गेहूँ के ऊपर रख दो। मेरा चाँदी का कटोरा सबसे छोटे वाले भाई के बोरे में रूपये के साथ गेहूँ पर रख दो।” अधिकारी ने वैसा ही किया जैसा युसूफ ने उसे कहा गया था। सुबह जल्दी ही सब भाई गदहों के साथ अपने मार्ग पर चल पड़े। वे शहर से थोड़ी ही दूर गए थे कि युसूफ ने अपने मुख्य अधिकारी से कहा, “उन मनुष्यो का पीछा करो।

जब तुम उन्हें पकड़ लो, तो उनसे पूछो, ‘तुमने मेरे साथ बुराई क्यों कि जबकि मैंने तुम्हारे साथ भलाई की ?’ तुमने मेरे स्वामी के कटोरे को क्यों चुराया ? वह इसे न केवल पीने के लिए प्रयोग करता है, परन्तु इसके द्वारा वह भविष्य भी बताता है।” जब अधिकारी ने उन्हें जा पकड़ा तो उसने युसूफ के शब्द दोहराए। उन्होंने उसे उत्तर दिया, “श्रीमान, इस प्रकार से कहने का आपका क्या अर्थ है ? हम पर विश्वास करें, हमने ऐसा कुछ नहीं किया।

आप जानते है वह रुपया जो हमारे बोरों के मुँह पर पड़ा था वह भी हम वापस लाए है फिर हम क्यों सोना और चाँदी तुम्हारे स्वामी के घर से चुराएँगे ? श्रीमान, यदि हम में से किसी के पास कटोरा हो, वह मार डाला जाए। और बाकि हम सब तुम्हारे दास बन जाएंगे। “

बिन्यामीन के बारे में कटोरा मिलना

अधिकारी ने कहा, “ठीक है, लेकिन केवल वही जिसने कटोरा चुराया होगा मेरा दास होगा। बाकि तुम सब स्वतंत्र होगर जा सकोगे।” तब उन्होंने फुर्ती से अपने बोरे उतार दिए। हर एक मनुष्य ने अपने बोरे खोले, युसूफ के सेवक ने बड़े से प्रारम्भ करके छोटे तक ध्यानपूर्वक ढूँढा। अंत में, कटोरा बिन्यामीन के बोरे में मिला। सब भाई घबरा गए ! उन्होंने अपने गदहों पर फिर सामान लादा और शहर लौट आए। जब वे युसूफ के घर आए तो वे उसके सामने झुक गए।

युसूफ ने कहा, “यह तुमने क्या किया? क्या तुम नहीं जानते की मेरा खोज निकालने का अपना तरीका है ?” यहूदा ने उत्तर दिया, “श्रीमान हम आपसे क्या कह सकते है? हम इसे कैसे स्पष्ट कर सकते है? इसके द्वारा परमेश्वर ने
हमे हमारा पाप दिखाया है। न केवल वह एक जिसके पास कटोरा मिला है परन्तु अब हम सब आप के दास है। युसूफ ने कहा, “नहीं! मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा! केवल वही जिसके पास कटोरा है मेरा दास होगा। बाकी तुम सब अपने पिता के पास जाने के लिए स्वतंत्र हो।”

यहूदा का युसूफ से विनती करना

यहूदा युसूफ के पास गया और कहा, “श्रीमान जी, कृपया मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूँ. आप मुझे पर क्रोध नहीं करना, आप स्वयं राजा के सामान है श्रीमान जी, आपने पूछा था, ‘क्या तुम्हारा पिता है और कोई भाई भी है.’ हमने उत्तर दिया था, ‘हमारा पिता है जो कि बूढ़ा है और एक छोटा भाई है जो उसके बुढ़ापे में पैदा हुआ है। लड़के का भाई मर चुका है और उसका पिता उसे बहुत चाहता है।’ श्रीमान जी, आपने उसे यहाँ लाने के लिए कहा था कि आप देख सके।

हमने उत्तर दिया था कि वह लड़का अपने पिता को नहीं छोड़ सकता। यदि वह ऐसा करेगा तो उसका पिता मर जायेगा। तब आपने कहा था कि मेरे पास तब तक दुबारा नहीं आ सकते जब तक तुम अपने छोटे भाई को नहीं लाते। हम अपने पिता के पास वापस लौट गए और उससे वह सब कहा जो आपने कहा था। बाद में उसने हमसे कहा कि हम और भोजन वस्तु लेने के लिए लौट जाए।

लेकिन हमने उत्तर, दिया हम नहीं जा सकते। हमें प्रधानमंत्री से मिलने की आज्ञा नहीं दी जाएगी जब तक हमारा छोटा भाई हमारे साथ नहीं होगा। हमारे पिता ने हमसे कहा, तुम जानते हो कि मेरी पत्नी राहेल से मेरे दो पुत्र थे। एक को तो मैं खो चुका हूं, संभवत: जंगली जानवरों ने उसे फाड़ दिया है। यदि इसको भी कुछ होगा, मैं अपने बुढ़ापे की आयु में दुख से मर जाऊंगा।

यहूदा ने आगे कहा, श्रीमान यदि मैं अपने पिता के पास इस लड़के के बिना जाऊंगा तो वह मर जाएगा। वह बहुत बूढ़ा है और इस लड़के को बहुत प्यार करता है। वह दुख से मर जाएगा। अब मैं क्या कहूं, मैंने अपने पिता से कहा था कि यदि मैं इस लड़के को वापस तेरे पास नहीं लाया तो मैं जीवन भर इसका अपराधी ठहरूंगा। इसीलिए श्रीमान, मैं इस लड़के के स्थान पर आपका दास बनकर रहूंगा। आप इसे इसके भाइयों के साथ जाने दे। यदि यह लड़का मेरे साथ नहीं होगा तो मैं अपने पिता के पास वापस कैसे जा सकूंगा? मैं अपने पिता को दुख में मरते हुए नहीं देख सकता। उत्पति 44:1-34

युसूफ की कहानी भाग-2 | Story of Joseph Part-2

यूसुफ का अपने भाइयों को बताना कि वह कौन है

युसूफ अपने आंसुओं को और अधिक देर तक ना रोक सका। उसके सेवकों ने उसे रोते हुए देखा। इसलिए उसने उन्हें कमरे से बाहर भेज दिया। तब यूसुफ ने अपने भाइयों को बताया कि वह कौन है। वह इतनी जोर से चिल्ला कर रोया की मिस्रयों ने उसे सुना। यह समाचार राजा के महल में भी पहुंचा। यूसुफ ने अपने भाइयों से कहा, मैं युसूफ हूं! क्या मेरा पिता अब तक जीवित है? परंतु जब उसके भाइयों ने यह सुना, वे बहुत डर गए। वे कुछ बोल ना सके।

तभी यूसुफ ने उनसे कहा, कृपया मेरे निकट आओ। वे आ गए! उसने कहा, मैं तुम्हारा भाई युसूफ हूं जिसे तुमने मिश्रा में बेच डाला था। अब निराश मत होओ। और अपने आप को दोषी मत ठहराव की तुमने मुझे बेच डाला था। वास्तव में यह तो परमेश्वर ही था जिस ने मुझे मिस्र देश में लोगों के जीवन को बचाने के लिए भेजा था।

परमेश्वर की योजना यूसुफ के जीवन में

यह तो अकाल का दूसरा ही वर्ष है। पाँच वर्ष और कोई भी उपज नहीं होगी। परमेश्वर ने मुझे तुम्हे और तुम्हारी सन्तानो को बचाने के लिए यहाँ अद्भुत ढंग से भेजा है। इसलिए मुझे यहाँ भेजने वाले वास्तव में तुम नहीं परन्तु परमेश्वर है। उसने मुझे राजा का सबसे बड़ा अधिकारी ठहराया है। मैं इस पुरे देश का प्रधानमंत्री हूँ।

अब मेरे पिता के पास जल्दी लौट जाओ और उनसे कहो कि उनका पुत्र युसूफ क्या कहता है, परमेश्वर ने मुझे पुरे मिस्र पर प्रधानमंत्री ठहराया है। मेरे पास जल्दी आईये। आप गोशेन में रह सकते है जहाँ आप मेरे निकट रहेंगे। अपनी सन्तानो और अपने नाती-पोतों, अपनी भेड़ो, अपनी बकरियों, अपने गाय- बैलों और कुछ आपका है उन सब को ले आईये। मैं आपकी देखभाल कर सकता हूँ। अकाल के पाँच वर्ष और है। मैं नहीं चाहता कि मेरे अपने लोग और उनके जानवर भूखे मरें।

राजा द्वारा याकूब को बुलावा भेजना

युसूफ ने आगे कहा, अब तुम सब और बिन्यामीन, तू भी देख सकता है कि मैं वास्तव में युसूफ हूँ। मेरे पिता को, मिस्र में बड़े वैभव के विषय में बताना। जो कुछ तुमने देखा है उस सब के बारे में उन्हें बताना। और तुरंत उन्हें यहाँ ले आना। उसने अपने भाई बिन्यामीन को अपनी बाहों में ले लिया और रोने लगा। बिन्यामीन भी उसके गले लगकर रोने लगा। तब युसूफ ने रट हुए अपने हर एक भाई को गले लगाया और उन्हें चूमा। इसके बाद उसके भाई उससे बातें करने लगे।

जब यह समाचार महल में पहुंचा कि युसूफ के भाई आएं है, तो राजा और उसके अधिकारी प्रसन्न हुए। राजा ने युसूफ से कहा, अपने भाइयों से कह कि अपने पशुओं को लाद कर कनान देश को लौट जाएँ। और वे अपने पिता और परिवार को लेकर यहाँ आएं। मैं उन्हें मिस्र में सबसे अच्छा स्थान दूंगा।

याकूब का परिवार सहित मिस्र में आना

तब वे मिस्र से निकल कर अपने घर अपने पिता याकूब के पास कनान में चले गए। उन्होंने उसे बताया, युसूफ अभी भी जीवित है! वह पुरे मिस्र देश का अधिकारी है याकूब बहुत अचंभित हुआ! वह उनकी प्रतीति न कर सका! परन्तु उन्होंने उसे वह सब कुछ बताया जो युसूफ ने उनसे कहा था। जब उसने उन गाड़ियों को देखा, जो युसूफ ने उसे मिस्र ले आने के लिए भेजी थी, तब उसने जाना कि यह अद्भुत समाचार सत्य है।

उसने कहा, मेरा पुत्र अभी जीवित है! उसके लिए मैं बस यही पूछ सकता हूँ इससे पहले कि मैं मर जाऊं, मैं जाकर उसे देखूँगां। तब याकूब अपने पुरे परिवार के साथ मिस्र के लिए रवाना हुआ। उसके पुत्रो ने उसे, अपने छोटे बच्चों और अपनी पत्नियों को गाड़ियों में चढ़ाया। उन्होंने अपनी भेड़-बकरियों और जो कुछ उनके पास था सब कुछ ले लिया।


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