युसूफ की कहानी | Story of Joseph

युसूफ की कहानी | Story of Joseph

दोस्तों, आप सभी मसीही भाई बहनों का हमारे एक और लेख के माध्यम से  Yeshu Aane Wala Hai Blog में स्वागत है। आज के इस लेख के माध्यम से हम जानने वाले हैं, युसूफ की कहानी | Story of Joseph आज इस कहानी में, मैं आपको बताने जा रहा हूं, एक ऐसे व्यक्ति यूसुफ की कहानी। जो “बाइबिल” के पुराने नियम (Old Testament) में मिलती है। यह कहानी ” उत्पत्ति ” (Genesis) किताब के 37वें अध्याय से लेकर 50वें अध्याय तक फैली हुई है।

यह कहानी एक युवक, यूसुफ, के जीवन के अनुभवों पर आधारित है जो उसके बड़े परिवार और उसके भाइयों के साथ उसके विवादों और उसके अनुभवों को बताती है। इन सारी बातों को आज इस लेख के माध्यम से मैं आप तक पहुंचाने जा रहा हूं। इसलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें, ताकि आप इन बातों को और अच्छे से समझ सके। धन्यवाद

युसूफ की कहानी | युसूफ और उसके भाई

युसूफ की कहानी याकूब के सबसे प्रिय पुत्र युसूफ की है। युसूफ ने दो स्वपन देखे थे और अपने भाइयों को उसने इनके बारे में बता दिया। यह स्वपन परमेश्वर की ओर से संदेश समझे गए। जब युसूफ इन स्वपनो का वर्णन कर रहा था, वह वास्तव में कह रहा था ,“परमेश्वर बोल रहा है।” यूसुफ और उसके भाइयों का रिश्ता बाइबिल के पुराने निवेशी (Old Testament) में “उतपत्ति ” (Genesis) किताब के अंशों में वर्णित है।

यह रिश्ता काफी विविध और परिसंघटित है। यूसुफ अपने पिता याकूब (Jacob) का छोटे बेटा हैं और याकूब सब भाइयों के बीच युसूफ से सबसे ज्यादा प्रेम करता था, हालांकि, उसके भाइयों के बीच जलन और ईर्ष्या का भाव रहता था, जिससे उन्हें यूसुफ के प्रति अस्थिरता का अनुभव होता है।

युसूफ के पिता याकूब | और उसका परिवार

युसूफ के पिता याकूब कनान देश में रहता था जहाँ उसका दादा रहा करते थे। असल में युसूफ की कहानी याकूब के परिवार की कहानी है। जब युसूफ 17 वर्ष का था। वह अपने भाइयों के साथ भेड़ – बकरियों की देखभाल किया करता था। युसूफ के भाई जो बुरे कार्य करते थे उसके बारे में युसूफ अपने पिता याकूब को आकर बताया करता था।

याकूब युसूफ को अपने बाकी सब पुत्रों से अधिक प्रेम करता था, क्योकि वह तब पैदा हुआ था जब वह बूढ़ा हो गया था। उसके भाई जानते थे कि उनका पिता युसूफ को उन सब से अधिक प्रेम करता था। इसलिए वे उससे घृणा करने लगे और उसके साथ बुरा व्यवहार करते थे।

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यूसुफ का सपना देखना

एक दिन युसूफ ने एक स्वपन देखा। जब उसने अपने भाइयों को उसके बारे में बताया, तो वे उससे और भी घृणा करने लगे। उसने कहा , “उस स्वपन को सुनो जो मैंने देखा, हम सब खेत में गेंहू काट रहे थे। जब हम गेंहू के पूले बाँध रहे थे , तो मेरा पूला उठकर सीधा खड़ा हो गया। तुम लोगों के पूले मेरे पूले के चारों तरफ आकर खड़े हो गये और उसे दण्डवत किया।”

युसूफ के भाइयों ने उससे पूछा , “क्या तुझे लगता है कि तू एक राजा होगा और हम सब पर प्रभुता करेगा?” उसके स्वपनों और जो कुछ उसने उनके लिया कहा था , उन बातों के कारण वे युसूफ से और भी अधिक घृणा करने लगे। उसके बाद, युसूफ ने एक और स्वपन देखा। इसके बारे में भी उसने अपने भाइयों से कहा , ” कि मैंने एक और स्वपन देखा है। जिसमे मैंने सूर्य को , चन्द्रमा को और ग्यारह सितारों को भी मेरे सामने दण्डवत करते देखा है। “

युसूफ की कहानी | Story of Joseph

यूसुफ ने अपने पिता को सपना के बारे में बताया

यूसुफ ने अपने पिता याकूब को सपने के बारे में बताया था जो उसने देखा था। यह सपना उसे और उसके भाइयों के बीच तनाव पैदा करता है और उनके भावों को भड़काता था। उसके पिता ने उसे डाँट कर कहा, “यह कैसा स्वपन है? क्या तू सोचता है कि तेरी माता, तेरे भाई और मैं, तेरे पास आकर तुझे दण्डवत करेंगे ? ” युसूफ के भाई उससे जलन रखने लगे थे लेकिन उसका पिता याकूब इन सब बातों पर मन में विचार करता रहा।

याकूब ने यूसुफ को उसके भाइयों के पास भेजा

युसूफ के भाई अपने पिता की भेड़- बकरियों की देखभाल करने के लिए शेकेम को गए हुए थे। याकूब ने युसूफ से कहा, “शेकेम को जा और देख की तेरे भाई और भेड़ – बकरियाँ सब ठीक है और तब वापस लौट कर मुझे बता। ” युसूफ ने उत्तर दिया, “हाँ, मैं जाऊँगा। ” इस प्रकार उसके पिता ने उसे हेब्रोन घाटी से उसके मार्ग पर भेजा। युसूफ शेकेम को पहुँचा और इधर-उधर देखने लगा।

एक मनुष्य ने उसे देखा और उससे पूछा, “तू किसको देख रहा है?” उसने उत्तर दिया, “मैं अपने भाईयों को देख रहा हूँ जो अपनी भेड़- बकरियों की देखभाल कर रहे है। क्या तू मुझे बता सकता है कि वे कहाँ है?”उस मनुष्य ने कहा, वे यहाँ से जा चुके है। मैंने उन्हें यह कहते हुए सुना था कि वे दोतन को जा रहे हैं “तब युसूफ अपने भाईयों के पीछे चला और दोतन में उन्हें पाया।

यूसुफ को गड्ढे में डाला जाना

जब यूसुफ के भाइयों ने उसे दूर से देखा, तब उन्होंने उसे मारने की योजना बनाई। उन्होंने एक-दूसरे से कहा, “वह स्वपन देखनेहारा आ रहा है। आओ, हम उसको मारें और उसके शरीर को गड्ढ़े में डाल दें। हम सब से कह देंगे कि एक जंगली जानवर ने उसे मार डाला। तब हम देखेंगे, कि उसके स्वपनो का क्या होता है।

रुबेन ने उन्हें यह सब बातें कहते सुना और युसूफ को बचाना चाहा। उसने कहा, ” हम उसे न मारें, उसे यहाँ इस गड्ढ़े में डाल दें परन्तु उसे चोट न पहुँचाए। ” उसने यह सब इसलिए कहा क्योकि वह उसे बचाना चाहता था और उसे पिता के पास वापस भेजना चाहता था। जब युसूफ अपने भाइयों के पास पहुँचा, उन्होंने उसका विशेष अंगरखा फाड़ दिया।

युसूफ की कहानी | Story of Joseph

यूसुफ को उसके भाइयों के द्वारा बेचा जाना

जब वे भोजन कर रहे थे तब उन्होंने अचानक इश्माएली व्यापारियों का एक झुण्ड देखा जो मिस्र जा रहा था। उनके ऊँट मसालों और बहुमूल्य सुगन्ध द्रव्यों से लदे हुए थे। यहूदा ने अपने भाइयों से कहा, “अपने भाई को मारने और उसके विषय में झूठ बोलने से हमें क्या मिलेगा ? हम उसे इन व्यापारियों को बेच दें ,तब हमें उसे मारना नहीं पड़ेगा। आखिर वह हमारा भाई है। ” उसके भाई तैयार हो गए। जब व्यापारी पास आए , भाइयों ने उसे बहार निकाला और उसे 20 चाँदी के टुकड़ों में बेच दिया। व्यापारी उसे मिस्र को ले गए।

इस समय रुबेन वहाँ न था। जब वह वापस कुएँ के पास आया और देखा कि युसूफ वहां नहीं हैं तो वह बहुत दुःखी हुआ। वह अपने भाइयों के पास लौटकर आया और कहा, ‘ लड़का वहाँ नहीं है अब मैं क्या करूँगा?”

याकूब को यूसुफ की मौत का संदेश मिलना

तब उन्होंने एक बकरे को मार कर युसूसफ़ के कपड़ों को उसके लहू में डूबो दिया। वह उस कपड़े को अपने पिता के पास ले गए और कहा, “हमें यह मिला है। क्या यह आपके पुत्र का है ?”

याकूब जानता था कि वह युसूफ के कपड़े थे और उसने कहा, “हाँ , यह उसी का है। किसी जंगली जानवर ने उसे मार डाला गया है। “मेरा पुत्र युसूफ टुकड़े -टुकड़े कर डाला गया है।” लम्बे समय तक याकूब गहरे दुःख में पड़ा रहा। उसके सभी पुत्र और पुत्रियाँ उसे शांति देने की कोशिश करते रहे लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। उसने कहा, “मैं अपने पुत्र के लिए तब तक दुःख मानता रहूँगा जब तक में मर न जाऊं। ” उत्पति 37: -35,

मिस्र देश में यूसुफ

जब युसूफ मिस्र में था तो उसके साथ बहुत सी घटनाएँ घटी। प्रभु उसके साथ था और वह सफल हुआ। परन्तु जो कुछ उसने नहीं किया उसके लिए वह दोषी ठहराया गया कुछ समय के लिए जेल में डाला गया। जब वह जेल में था उसने बहुत से लोगो की सहायता की। परमेश्वर के आत्मा ने युसूफ की स्वपन का अर्थ बताने में सहायता की। मिस्र के राजा ने एक स्वपन देखा और उसने युसूफ को बुलवाया।

जेल से युसूफ का बहार आना

युसूफ को उसी समय जेल से बाहर लाया गया। और वह राजा के सामने बाल बना कर और साफ़- सुथरा हो कर आया। राजा ने युसूफ से कहा, “मैंने एक स्वपन देखा। कोई उसका अर्थ नहीं बता सका। मैंने सुना है कि तू स्वपनों को समझता है। ” युसूफ ने उत्तर दिया , “हे महाराजा, यह तोह परमेश्वर ही है जो समझने में मेरी सहायता करता है। “

राजा ने कहा, “मैंने स्वपन देखा कि मैं नील नदी के किनारे पर खड़ा हूँ। फिर क्या देखा कि सात मोटी गाये नदी में से बाहार निकलीं और घास चरने लगीं। तब सात दुर्बल गाये बाहार निकली। मैंने ऐसी कुडौल गाये कभी नहीं देखीं। दुर्बल गायों ने मोटी गायों को खा लिया। लेकिन वे फिर भी वैसी ही दुर्बल दिखाई दे रहीं थीं जैसी वे पहले थी।

तब मैं जाग उठा। इसके बाद मैंने एक और स्वपन देखा कि एक ही डंठी में सात सूखी और दुर्बल गेहूँ की बालें निकलीं। उन्होंने भरी हुई बालों को निगल लिया। यह स्वपन मैंने बुद्धिमान लोगो को बताये, परन्तु उनमे से कोई भी मुझे उनका अर्थ  नहीं  बता सका।


-आगे की कहानी के लिए भाग-2 को पढ़े-
युसूफ की कहानी | Story of Joseph

Conclusion | निष्कर्ष

इस लेख में अब तक हमने यूसुफ की कहानी में जो कुछ भी देखा है, इसके बाद भी यूसुफ को जीवन में बहुत सारी घटनाएं घटी हैं। जिनके बारे में हमें और विस्तार से जानने की आवश्यकता है। अभी तक हमने इस लेख के माध्यम से यह जाना है, कि यूसुफ का पिता कौन है, उसके परिवार के बारे में, यूसुफ ने क्या सपना देखा था उसके बारे, यूसुफ ने अपने भाइयों को अपने सपने के बारे में बताया, और अपने पिता को भी सपने के बारे में बताया।

यूसुफ के पिता ने उसे अपने भाइयों के पास उनका खोज खबर लेने के लिए भेजा। उसके बाद यूसुफ के भाइयों ने उसे मार डालना चाहा। परंतु वह उसे ना मार पाए, और उसे गड्ढे में डाल दिया। उसके बाद यूसुफ के भाइयों ने उसे इश्माएली व्यापारियों के हाथ में बेच दिया। और इस प्रकार से युसूफ मिस्र देश पहुंच गया।और युसूफ का पिता याकूब को उनके भाइयों ने यह बताया कि यूसुफ जंगली जानवरों के द्वारा मारा गया है। यह सारी घटनाएं हमने इस लेख के माध्यम से जाना है।

इसके आगे की घटनाओं के बारे में मैंने एक और लेख लिखा है जिसका नाम है, यूसुफ की कहानी भाग 2 इस लेख की आगे की घटनाओं को जानने के लिए आप भाग 2 को जरूर पढ़ें। यूसुफ की कहानी भाग 2 का लिंक नीचे दिया गया है। “धन्यवाद”



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