दोस्तों, आप सभी मसीही भाई बहनों का हमारे एक और लेख के माध्यम से Yeshu Aane Wala Hai Blog मैं स्वागत है। आज के इस लेख के माध्यम से हम जानने वाले हैं, दानिय्येल की कहानी | Story of Daniel आज इस कहानी में मैं आपको बताने जा रहा हूं, एक ऐसे व्यक्ति दानिय्येल के बारे में जो गुलाम था। उसके साथ साथ हम दानिय्येल के तीन दोस्तों के बारे में भी जानेगें, जिनका नाम था, शद्रक, मेशक, अबेदनगो। ये भी गुलाम ही थे।
इस कहानी में हम यह जानेंगे कि कैसे यह चारों लोग गुलामी की अवस्था में रहने के बाद भी परमेश्वर के वचन के अनुसार अपना जीवन जीते हैं। इन सारी बातों को आज इस लेख के माध्यम से मैं आप तक पहुंचाने जा रहा हूं। इसलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें, ताकि आप इन बातों को और अच्छे से समझ सके। धन्यवाद
दानिय्येल की कहानी | दानिय्येल कौन था?
दानिय्येल एक यहूदी युवक था जोकि एक बहुत ही अच्छे परिवार से था। उसका संबंध यहूदी राजघराने से था। परंतु अब डेनियल बेबीलोन में एक गुलाम था। उसे एक विशेष परीक्षण के लिए चुना गया था। और बाद में वह उस देश की सरकार का सबसे बड़ा अधिकारी बन गया। वह अपने निजी घर से बहुत दूर था, परन्तु वह अपने परमेश्वर को प्रेम करने और उसकी सेवा करने से कभी नहीं चूका।
दानिय्येल का राजमहल में सेवा
राजा नबूकदनेस्सर ने अपने मुख्य अधिकारी को यह आदेश दिया कि वह कुछ यहूदी बंदियों को चुन ले। उन यहूदियों का जवान व राजपुत्र और अच्छे परिवारों से होना जरूरी था। उनको सुंदर, बुद्धिमान, अच्छी तरह प्रशिक्षित, जल्दी सीखनेवाला और स्वस्थ होना था। उन्हें यह सीखना था कि वे राजमहल में किस प्रकार सेवा करें। अशपनज कार्य यह था कि वह उन जवानों को बाबुल की भाषा को पढ़ना और लिखना सिखाए। और हर दिन उनको राजसी भोजन और दाखमधु दिया जाता था। इस प्रशिक्षण के तीन वर्ष बाद उन्हें राजा के सामने उपस्थित होना था।
दानिय्येल और उसके दोस्तों का नाम बदला जाना
जिन लोगों को राजमहल में सेवा करने के लिए चुना गया था। उन चुने हुए लोगों में जो युवक थे। उनमें दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह, थे। वे सभी यहूदी थे। राजा के मुख्य अधिकारीयों ने दानिय्येल और उसके मित्रों को नए नाम दिए। दानिय्येल का नाम बदलकर बेलतशस्सर, हनन्याह का नाम बदलकर शद्रक, मीशाएल का नाम बदलकर मेशक, और अजर्याह का नाम बदलकर अबेदनगो रख दिया। इस प्रकार से से दानिय्येल और उसके तीनों दोस्तों के नाम को बदल दिया गया था बाबुल में गुलामी के समय। दानिय्येल 1:5-7,
राजमहल के खाने को मना करना
दानिय्येल की कहानी में हम देखते है कि दानिय्येल ने राजमहल के खाने को खाने से मना कर दिया। उसने यह निश्चय किया कि वह अपने खान-पान में परमेश्वर की व्यवस्था को नहीं तोड़ेगा। उसने अशपनज इस बात के लिए मदद चाही। परमेश्वर ने अशपनज को दानिय्येल के प्रति दयालु किया। तो भी अशपनज राजा से भयभीत था, इसलिए उसने दानिय्येल से कहा, राजा ने ही यह ठहराया है कि तुम लोगों को क्या खाना और क्या पीना है यदि तू दूसरे युवकों के समान स्वस्थ ना दिखेगा, तो हो सकता है कि राजा मुझे मार डाले।
भोज के प्रधान को जवाब
तब दानिय्येल भोज के प्रधान अधिकारी के पास गया। उसने उससे कहा, कृपया हमें 10 दिनों का समय देकर हमारी जांच करें। आप हमें खाने के लिए सब्जियां और पीने के लिए पानी ही दें। तब हमारी तुलना उन युवकों से करना जिन्होंने राजा के आज्ञा के अनुसार राजमहल के भोजन को ग्रहण किया है।
भोजन के प्रधान उन्हें 10 दोनों का समय देकर उनकी जांच करने के लिए सहमत हो गया। जब समय पूरा हुआ तो वह उन युवकों से अधिक स्वस्थ और सामर्थ्य पाए गए जो लगातार राजसी भोजन खा रहे थे। उसके बाद से भोजन के प्रधान अधिकारी ने उन्हें राजसी भोजन के बदले सब्जियों और पानी का ही सेवन करने के लिए दिया।
राजा के सामने दानिय्येल और उसके दोस्त
परमेश्वर ने उन चार युवकों को यानी कि दानिय्येल और उसके तीनों दोस्तों को सीखने की बुद्धि प्रदान की। दानिय्येल इस योग्य हुआ कि वह दर्शन और सपनों का अर्थ बता सके। राजा की ओर से ठहराए गए 3 वर्षों के बाद अशपनज सभी युवकों को लेकर नबूकदनेस्सर के पास गया। राजा ने उन सभो से बातचीत की। राजा ने जो कुछ भी पूछा उसका उत्तर दानिय्येल और उसके मित्रों ने राजा के राज्य भर के भविष्य बताने वालों और जादूगरों से कहीं अच्छा दिया। इस प्रकार दानिय्येल राजा के महल में ही रह गया। दानिय्येल 1:8-21,
दानिय्येल की कहानी में धधकती हुई भट्टी
दानिय्येल की कहानी ने लोगों को यह विश्वास करने में मदद की की जो कोई परमेश्वर के प्रति विश्वास योग्य होते हैं, उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं होती।
राजा नबूकदनेस्सर ने सोने की एक बहुत बड़ी मूर्ति बनवाई। उसने वह मूर्ति दुरा नामक मैदान में खड़ी कार्रवाई ताकि लोग उसे मूर्ति को दंडवत करें। उसने अपने सभी राजकुमारों, उच्च अधिकारियों, और दूसरे सरकारी अधिकारियों को यह आदेश दिया कि वह एक साथ आकर उस मूर्ति की आराधना करें।
मूर्ति के आगे दंडवत करने की आज्ञा
मूर्ति के आगे दंडवत करने के आदेश में यह कहा गया था, कि बाजो की आवाज सुनो, तब तुम्हारे लिए यह जरूरी ही होगा कि तुम राजा के द्वारा खड़ी कराई गई सोने की मूर्ति को दंडवत करो। जो कोई भी झुक कर सोने की मूर्ति को दंडवत नहीं करेगा, उस व्यक्ति को धड़कती हुई आग की भट्टी में फेंक दिया जाएगा।
उस समय राजा के कुछ अधिकारी यह चाहते थे कि वे यहूदियों पर कोई दोष लगे। जब उसे मूर्ति की उपासना शुरू हुई तो उन्होंने आकर डेनियल के मित्रों के विरुद्ध शिकायत की। उन्होंने राजा से कहा, हे राजा, आप हमेशा जीवित रहे, आपके तीन मुख्य यहूदी अधिकारी शद्रक, मेशक, अबेदनगो, आपकी आज्ञा का पालन नहीं कर रहे हैं। वे आपके देवता की उपासना नहीं कर रहे हैं अर्थात जो सोने की मूर्ति अपने खड़ी कराई है, उसे वे झुक कर दंडवत नहीं कर रहे हैं।
राजा की आज्ञा को ना मानना
राजा ने शद्रक, मेशक, अबेदनगो, को बुलाकर उन्हें यह आज्ञा दी कि वे उसे मूर्ति की उपासना करें, परंतु उन्होंने राजा की आज्ञा का इनकार कर दिया। उन्होंने राजा को उत्तर दिया, कि हे राजा, जिस परमेश्वर की हम सेवा करते हैं, वह इस योग्य है कि हमें आग की भट्टी और आपके समर्थ से यदि वह चाहे तो बचा ले। परंतु यदि वह हमें ना भी बचाएं, तो भी हे राजा, आप इस बात को अच्छी तरह से जान ले कि हम आपकी मूर्ति को दंडवत नहीं करेंगे। जो सोने की मूर्ति अपने खड़ी कराई है, हम उसके सामने नहीं झुकेंगे।
आग की भट्टी में डाला जाना
तब राजा का मुंह क्रोध से लाल हो गया। उसने अपने लोगों को यह आज्ञा दी, कि उस आग की भट्टी को और तेज धधकाया जाए। उसने अपनी सेना के सबसे शक्तिशाली पुरुषों को यह आज्ञा दी, कि वे उन तीनों को बांधकर धड़कते हुई आग की भट्टी में फेंक दे। तब उन्होंने कपड़ों सहित उन्हें बांधकर आग की भट्टी में फेंक दिया। वह भट्टी इतनी गर्म थी कि उस आग से वे सैनिक भी जल कर मर गए, जो उन्हें भट्टी में डालने ले गए थे। शद्रक, मेशक, अबेदनगो, आग में गिर गए। तभी अचानक राजा नबूकदनेस्सर आश्चर्य से उछल पड़ा। और उसने अपने अधिकारियों से पूछा, क्या हम लोगों ने तीन पुरुषों को बांधकर आग में नहीं फेंका था?
राजा के अधिकारियों ने राजा को उत्तर दिया, हां राजा हम लोगों ने ऐसा ही किया था। परंतु अब मैं चार पुरुषों को आग की भट्टी में घूमते हुए देखता हूं। वे न तो बंधे हुए हैं और न ही वे जले हैं और चौथा पुरुष तो स्वर्गदूत के समान दिखाई पड़ता है।
राजा नबूकदनेस्सर का मन बदलना
तब राजा नबूकदनेस्सर उस आग की भट्टी के दरवाजे पर गया और उसने पुकार कर कहा, हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सेवको शद्रक, मेशक, अबेदनगो, बाहर आ जाओ। और वे उसी समय बाहर निकल आए। उन तीनों पुरुषों को देखने के लिए सभी राजकुमार, प्रधान अधिकारी जमा हुए। उन तीनों पुरुषों को आग से कुछ भी नुकसान नहीं पहुंचा था। उनके बाल और उनके कपड़े भी आग से नहीं जले थे। उनमें आग से जलने की कोई गंध तक नहीं थी।
शद्रक मेशकअबेदनगो को ऊँचा पद मिलना
तब राजा ने कहा, शद्रक, मेशक, अबेदनगो, का परमेश्वर धन्य है! उसने अपने स्वर्गदूत को भेज कर अपने इन सेवकों को बचा लिया है जो उसकी सेवा करते हैं और उस पर विश्वास रखते हैं। उन्होंने मेरी आज्ञा को न मानकर अपने जीवन को संकट में डाल दिया, परंतु उन्होंने अपने परमेश्वर को छोड़कर दूसरे किसी भी ईश्वर को दंडवत करना मंजूर नहीं था।
राजा ने कहा यदि मेरे राज्य में कोई भी इनके परमेश्वर के विरोध बोलेगा, तो उन्हें चीर डाला जाएगा। उसका घर नष्ट कर दिया जाएगा। क्योंकि कोई भी दूसरा ईश्वर इस प्रकार से नहीं बचा सकता। और तब राजा ने अपने राज्य बेबीलोन में शद्रक, मेशक, अबेदनगो, को और ऊंचे पदों में उन्नति दी।