आज हम यीशु मसीह के क्रूस पर कहे गए अंतिम सात क्रूस के वचन पर चर्चा कर रहे हैं। यह आर्टिकल प्रचार नोट्स के रूप में उनके अर्थ, पुराने और नवीन नियम के संदर्भों, और मण्डली (कलीसिया) के लिए आत्मिक प्रेरणा को प्रस्तुत करता है। प्रत्येक वचन के साथ प्रचार बिंदु और सुझाव दिए गए हैं ताकि प्रचारक प्रभावशाली संदेश तैयार कर सकें।
ये प्रचार नोट्स उन प्रचारकों के लिए हैं जो मण्डली (कलीसिया) को क्रूस पर यीशु मसीह के शब्दों के माध्यम से परमेश्वर के प्रेम और बलिदान का संदेश देना चाहते हैं – उनके अंतिम सात वचन। क्रूस के वचन पर यीशु की पीड़ा, दया और उद्धार की योजना को प्रकट करते हैं।
प्रत्येक पद को पुराने और नए नियम के संदर्भों के साथ समझाया गया है ताकि प्रचारक बाइबिल पर आधारित, आध्यात्मिक रूप से गहरा संदेश तैयार कर सके। इन नोटों का उद्देश्य मण्डली (कलीसिया) को क्रूस के महत्व और यीशु के शब्दों की शक्ति से जोड़ना है।
परिचय: क्रूस के वचनों का महत्व
क्रूस के वचन मसीही विश्वास के लिए हृदय हैं। यूहन्ना 1:1 हमें यह बताता है कि वचन परमेश्वर है, और क्रूस पर यीशु मसीह के शब्द उनके प्रेम और मानवीय दर्द का प्रतीक हैं। 1 कुरिन्थियों 1:18 क्रूस के संदेश को ईश्वर की शक्ति के रूप में प्रकट करता है।
ये सात शब्द पुराने नियम की भविष्यवाणियों को पूरा करते हैं, जैसे कि यशायाह 53:5, जो मसीहा की पीड़ा और हमारे उद्धार के बारे में बात करते हैं। प्रचारकों के लिए, क्रूस के वचनों को कलीसिया तक पहुँचाना एक पवित्र दायित्व है, जिससे यीशु के बलिदान को जीवन मिलता है।
1. पहला वचन: क्षमा की प्रार्थना
लूका 23:34 – यीशु उन लोगों के लिए क्षमा की प्रार्थना करता है जो उसे क्रूस पर चढ़ाते हैं।
- अर्थ: यीशु का क्रूस से कहा गया यह वचन यीशु की असीम दया को दर्शाता है, जो अपने शत्रुओं के प्रति प्रेम प्रदर्शित करता है।
- पुराना नियम संदर्भ:
- यशा. 53:12 – मसीहा हम पापियों की ओर से मध्यस्थ बनकर हमारे लिए परमेश्वर से प्रार्थना करता है।
- भजन संहिता 109:4 – दुष्टता के बजाय प्रार्थना।
- नीति वचन 17:9 – परमेश्वर प्रेम क्षमा को बढ़ावा देता है।
- यहेजकेल 33:11 – परमेश्वर दुष्टों की मृत्यु को नहीं चाहता।
- प्रचार बिंदु: क्रूस का यह वचन हमें क्षमा का मार्ग सिखाता है। मत्ती 6:14-15 कहता है कि हमें दूसरों को क्षमा करना चाहिए। मण्डली (कलीसिया) को इस वचन को अपने जीवन में लागू करने के लिए प्रोत्साहित करें।
2. दूसरा वचन: उद्धार का वादा
लूका 23:43 – यीशु क्रूस पर एक अपराधी को विश्वास दिलाते हैं कि वह उनके साथ स्वर्गीय राज्य में होगा।
- अर्थ: यीशु का क्रूस से कहा गया यह वचन परमेश्वर की कृपा की शक्ति को दर्शाता है, जो अंतिम क्षण में भी उद्धार लाता है।
- पुराना नियम संदर्भ:
- भजन संहिता 32:5 – पाप स्वीकार करना और क्षमा करना।
- योएल 2:32 – जो कोई प्रभु का नाम पुकारेगा, वह उद्धार पाएगा।
- यशायाह 55:7 – दुष्ट अपने मार्ग से फिर जाए।
- भजन 86:5 – परमेश्वर पाप क्षमा करने वाला ईश्वर है।
- प्रचार बिंदु: क्रूस का यह वचन आशा की किरण है। रोमियों 5:8 परमेश्वर के प्रेम और अनुग्रह द्वारा मुक्ति की बात करता है। मण्डली (कलीसिया) को प्रेरित करें कि यह वचन हर किसी के लिए उद्धार का मार्ग खोलता है।
3. तीसरा वचन: पारिवारिक उत्तरदायित्व
यूहन्ना 19:26-27 – यीशु क्रूस से अपनी माता की देखरेख का दायित्व अपने प्रिय शिष्य को देते हैं।
- अर्थ: यह क्रूस के वचन यीशु की मानवीय संवेदनशीलता और पारिवारिक जिम्मेदारी को दर्शाता है।
- पुराना नियम संदर्भ:
- निर्गमन 20:12 – माता-पिता के प्रति सम्मान।
- लैव्यव्यवस्था 19:3 – माता-पिता का आदर।
- नीतिवचन 23:22 – माता-पिता की बात सुनने की सलाह।
- 1 शमूएल 22:3 – परिवार की देखभाल करने का उदाहरण।
- प्रचार बिंदु: क्रूस के वचन हमें अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करता है। 1 तीमुथियुस 5:8 परिवार की देखभाल को विश्वास का हिस्सा बताता है। इस वचन के आधार पर मण्डली (कलीसिया) को वफ़ादारी सिखाएँ।
4. चौथा वचन: परमेश्वर से अलगाव
मत्ती 27:46 – यीशु क्रूस पर बड़ी पीड़ा से चिल्लाते हुए पिता से पूछते हैं कि पिता परमेश्वर ने उन्हें (यीशु ) को अकेला क्यों छोड़ दिया था।
- अर्थ: यह क्रूस के वचन मानवता के पापों के बोझ को दर्शाता है, जिसे यीशु ने उठाया।
- पुराना नियम संदर्भ:
- भजन 22:1 – मसीहा के दुःख और क्लेश की भविष्यवाणी करता है।
- हबक्कूक 1:13 – परमेश्वर की पवित्रता पाप को नहीं देख सकती है।
- यशायाह 59:2 – पाप के कारण मनुष्य और परमेश्वर के बीच की दूरी का वर्णन करता है।
- विलापगीत 1:12 – दुख की गहराई का वर्णन।
- प्रचार बिंदु: यह क्रूस के वचन यीशु के दुख की गहराई को दर्शाता है। 2 कुरिन्थियों 5:21 कहता है कि वह हमारे लिए पाप बन गया। इस श्लोक के माध्यम से मण्डली (कलीसिया) को बलिदान की कीमत समझाएँ।
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5. पांचवां वचन: शारीरिक पीड़ा
यूहन्ना 19:28 – यीशु क्रूस पर अपनी शारीरिक प्यास को प्रकट करते हैं।
- अर्थ: यीशु का क्रूस से कहा गया यह वचन यीशु की शारीरिक पीड़ा और मानवीय कमज़ोरी को उजागर करता है।
- पुराना नियम संदर्भ:
- भजन संहिता 69:21 – मसीहा को सिरका दिया जाना।
- भजन संहिता 22:15 – शारीरिक पीड़ा का वर्णन।
- विलापगीत 4:4 – प्यास की पीड़ा।
- यशायाह 52:14 – मसीहा की पीड़ा।
- प्रचार बिंदु: क्रूस के वचन हमारे सामने यीशु की मानवीय पीड़ा को लाता है। इब्रानियों 2:18 कहता है कि वह हमारी परीक्षाओं में हमारी मदद कर सकता है। मण्डली (कलीसिया) के लिए इस वचन के आधार पर यीशु के मानवीय अनुभव और उनकी सहानुभूति को समझने के लिए प्रोत्साहित करें।
6. छठा वचन: कार्य की पूर्णता
यूहन्ना 19:30 – यीशु ने घोषणा की कि उसका कार्य पूरा हो गया है।
- अर्थ: यीशु का क्रूस से कहा गया यह वचन उद्धार के कार्य की विजय को दर्शाता है।
- पुराना नियम संदर्भ:
- यशायाह 53:10 – मसीहा का बलिदान परमेश्वर की इच्छा को पूरा करता है।
- जकर्याह 4:6 – परमेश्वर की शक्ति योजना को फलित करती है।
- उत्पत्ति 22:8 – परमेश्वर स्वयं बलिदान प्रदान करता है।
- दानिय्येल 9:24 – पाप के अंत के बारे में भविष्यवाणी।
- प्रचार बिंदु: क्रूस का यह वचन हमें आश्वस्त करता है कि उद्धार पूर्ण हो गया है। रोमियों 8:1 कहता है कि अब कोई निंदा नहीं है। इस वचन के आधार पर मण्डली (कलीसिया)को कृतज्ञता सिखाएँ।
7. सातवां वचन: आत्मा का समर्पण
लूका 23:46 – यीशु अपनी आत्मा को परमेश्वर के हाथों में सौंपता है।
- अर्थ: यह क्रूस के वचन यीशु के पूर्ण विश्वास और समर्पण को दर्शाता है।
- पुराना नियम संदर्भ:
- भजन संहिता 31:5 – परमेश्वर पर भरोसा।
- सभोपदेशक 12:7 – आत्मा का परमेश्वर की ओर मुड़ना।
- भजन संहिता 25:1 – आत्मा का परमेश्वर की ओर मुड़ना।
- यशायाह 26:3 – परमेश्वर पर भरोसा रखने वाले को शांति।
- प्रचार बिंदु: क्रूस का यह वचन हमें अपने जीवन को परमेश्वर को समर्पित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। भजन 37:5 हमें अपने मार्ग प्रभु को समर्पित करने की सलाह देता है। इस वचन के आधार पर मण्डली (कलीसिया) को समर्पण करना सिखाएँ।
प्रचार के लिए सुझाव
- क्रूस के वचनों पर जोर: प्रत्येक पद को क्रूस की कहानी के हिस्से के रूप में प्रस्तुत करें। क्रूस की यात्रा के लिए संदर्भ के रूप में यूहन्ना 19:17 का उपयोग करें।
- प्रश्नों का उपयोग: क्रूस के प्रत्येक पद के बाद मण्डली (कलीसिया) से पूछें, जैसे, “क्या आप इस पद को अपने जीवन में जी सकते हैं?” इससे संदेश व्यक्तिगत हो जाएगा।
- पुराने नियम का उपयोग: क्रूस के वचनों को पुराने नियम से जोड़कर दिखाएँ कि वे परमेश्वर की शाश्वत योजना का हिस्सा हैं। लूका 24:27 कहता है कि यीशु ने भविष्यवाणियों के आधार पर अपनी बात स्पष्ट की।
- आह्वान: इब्रानियों 12:2 के आधार पर, मण्डली (कलीसिया) को क्रूस के वचन को अपने जीवन में लागू करने और यीशु के मार्ग का अनुसरण करने के लिए बुलाएँ।
निष्कर्ष
क्रूस के वचन—यीशु के अंतिम सात कथन—परमेश्वर के प्रेम, बलिदान और उद्धार के जीवंत प्रमाण हैं। ये शब्द प्रचारकों के लिए मण्डली (कलीसिया) को यीशु के हृदय तक ले जाने का एक शक्तिशाली साधन हैं। यूहन्ना 3:16 हमें परमेश्वर के प्रेम की याद दिलाता है, जो क्रूस के शब्दों में स्पष्ट है। प्रचारकों के रूप में, आइए हम इन शब्दों को मण्डली (कलीसिया) के सामने प्रस्तुत करें ताकि वे यीशु के बलिदान को समझें और उसके प्रेम में बढ़ें।
क्रूस के वचन—यीशु द्वारा कहे गए ये सात शब्द केवल शब्द नहीं हैं; वे परमेश्वर के प्रेम, बलिदान और उद्धार की योजना के जीवित प्रमाण हैं। प्रत्येक शब्द पुराने नियम की भविष्यवाणियों को पूरा करता है और हमें मसीह के कार्य की गहराई को समझने में मदद करता है। ये शब्द हमें क्षमा करने, विश्वास करने, अपने दायित्वों को पूरा करने और परमेश्वर पर भरोसा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
यीशु का बलिदान हमें सिखाता है कि प्रेम और दया ही ईश्वर के करीब आने का एकमात्र तरीका है। इब्रानियों 12:2 हमें याद दिलाता है कि यीशु ने क्रूस की शर्म को सहा ताकि हम अनंत जीवन पा सकें। क्या हम अपने जीवन में उनके इस बलिदान को महत्व देते हैं? क्या हम अपने जीवन को समर्पित करके उनके प्रेम का जवाब दे सकते हैं?
यीशु द्वारा क्रूस पर कहे गए ये शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तब थे। वे हमें अपने जीवन में उनके मार्ग का अनुसरण करने और दूसरों तक उनके प्रेम को फैलाने के लिए प्रेरित करते हैं। आइए हम इन शब्दों पर मनन करें और अपने जीवन को ईश्वर की महिमा के लिए समर्पित करें।
1. गुड फ्राइडे क्या है और इसका महत्व क्यों है?
जवाब: गुड फ्राइडे वह दिन है जब यीशु मसीह ने क्रूस पर बलिदान दिया, जो मसीही विश्वास में उद्धार का प्रतीक है। यह प्रेम और क्षमा का संदेश देता है, जो मण्डली को परमेश्वर के करीब लाता है।
2. यीशु ने क्रूस पर किन सात वचनों को कहा था?
जवाब: यीशु के क्रूस पर कहे सात वचन क्षमा, उद्धार, और समर्पण को दर्शाते हैं, जैसे “पिता, इन्हें क्षमा कर” (लूका 23:34)। ये वचन गुड फ्राइडे पर प्रचार के लिए प्रेरणा देते हैं।
3. गुड फ्राइडे 2025 कब मनाया जाएगा?
जवाब: गुड फ्राइडे 2025, 18 अप्रैल को मनाया जाएगा। यह दिन यीशु के बलिदान को याद करने और प्रार्थना करने का अवसर है, जो विश्वासियों के लिए आत्मिक चिंतन का समय है।
4. गुड फ्राइडे पर प्रचार कैसे तैयार करें?
जवाब: क्रूस के वचन गुड फ्राइडे के प्रचार के लिए यीशु के बलिदान और क्रूस के संदेश पर ध्यान दें। बाइबल संदर्भ (जैसे यूहन्ना 19:30) और प्रासंगिक कहानियाँ जोड़कर मण्डली को प्रेरित करें।
5. यीशु का क्रूस पर बलिदान क्यों आवश्यक था?
जवाब: यीशु का क्रूस पर बलिदान मानवता के पापों के लिए प्रायश्चित था (यशायाह 53:5)। गुड फ्राइडे पर यह बलिदान परमेश्वर के प्रेम और उद्धार की योजना को प्रकट करता है।

लेखक: पास्टर अनिमेष कुमार
बाइबल शिक्षक, पास्टर, सुसमाचार प्रचारक,
संस्थापक: “येशु आने वाला है मिनिस्ट्री”
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