यीशु मसीह के 3 चंगाई के वचन | 3 healing words from Jesus Christ

यीशु मसीह के 3 चंगाई के वचन | 3 healing words from Jesus Christ

आपका Yeshu Aane Wala Hai Blog में स्वागत है। इस लेख के माध्यम से हम जानने वाले हैं। यीशु मसीह के तीन 3 चंगाई के वचन के बारे में। इस लेख में हम 3 चंगाई के वचन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानेगे, जैसे कि तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें चंगा किया, विश्वास की शक्ति, आत्मिक चंगाई, तू शुद्ध हो जा, यीशु की इच्छा शक्ति, सामाजिक बहिष्कार से मुक्ति, अपनी खाट उठाओ और चलो, इच्छा और कार्य, नई शुरुआत, इत्यादि।

बाइबल हमें यीशु मसीह के जीवन और शिक्षाओं के माध्यम से परमेश्वर के प्रेम और करुणा का गहरा संदेश देती है। यीशु ने न केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि शारीरिक रूप से भी लोगों को चंगा किया। उनके चंगाई के वचन और कार्य हमें दिखाते हैं कि वह हमारी पीड़ा और बीमारियों को समझते हैं और हमें पूर्ण स्वास्थ्य और शांति देना चाहते हैं। इस लेख में, हम बाइबल से यीशु मसीह की तीन ऐसी बातों पर चर्चा करेंगे जो चंगाई और आशा का स्रोत हैं। ये चंगाई के वचन न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि हमारे आध्यात्मिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी प्रेरणादायक हैं।

1. तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें चंगा किया है (मत्ती 9:22)

यीशु मसीह के जीवन की एक प्रसिद्ध घटना है जब एक महिला जो बारह वर्षों से लगातार रक्तस्राव से पीड़ित थी, यीशु के वस्त्र के किनारे को छूने से ठीक हो गई। यीशु ने उससे कहा, “बेटी, तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है। शांति से जा और अपनी बीमारी से मुक्त हो।” (मरकुस 5:34)

विश्वास की शक्ति

इस चंगाई के वचन में, यीशु ने विश्वास की शक्ति पर प्रकाश डाला है। उस महिला का विश्वास इतना मजबूत था कि वह यीशु के वस्त्र को छूने मात्र से ठीक हो गई। इससे हमें यह सीख मिलती है कि विश्वास हमारे जीवन में उपचार और परिवर्तन ला सकता है। चाहे हम किसी भी स्थिति में हों, यीशु में हमारा विश्वास हमें शक्ति और आशा दे सकता है।

उस महिला की स्थिति को समझना महत्वपूर्ण है। बारह वर्षों तक वह न केवल शारीरिक रूप से बीमार थी, बल्कि सामाजिक और धार्मिक रूप से भी अशुद्ध मानी जाती थी। उसकी बीमारी ने उसे समाज से अलग कर दिया था। लेकिन उसने यीशु पर विश्वास किया और उसका विश्वास उसके लिए उपचार का साधन बन गया।

आत्मिक चंगाई

यीशु ने न केवल महिला की शारीरिक बीमारी को ठीक किया, बल्कि उसके आध्यात्मिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी बहाल किया। उसने उसे “शांति से जाओ” कहकर शांति से भर दिया। इससे हमें यह सीख मिलती है कि यीशु में हमारे शरीर, मन और आत्मा के सभी पहलुओं को ठीक करने की शक्ति है।

आज के समय में भी, हम अक्सर शारीरिक, मानसिक या आध्यात्मिक रूप से टूटा हुआ महसूस करते हैं। ऐसे समय में, यीशु का यह कथन हमें आशा देता है कि हम भी उस पर विश्वास करके उपचार प्राप्त कर सकते हैं।

2. मैं चाहता हूं, तू शुद्ध हो जा (मत्ती 8:3)

एक अन्य प्रसिद्ध घटना में, एक कोढ़ी यीशु के पास आया और कहा, “हे प्रभु, यदि आप चाहें, तो आप मुझे शुद्ध कर सकते हैं।” यीशु ने अपना हाथ बढ़ाया और उसे छुआ और कहा, “मैं चाहता हूँ कि तुम शुद्ध हो जाओ।” और कोढ़ी तुरंत शुद्ध हो गया।

यीशु की इच्छा शक्ति

इस चंगाई के वचन में, यीशु ने अपनी इच्छा शक्ति का प्रदर्शन किया है। उन्होंने न केवल कोढ़ी की प्रार्थना सुनी, बल्कि उसे छूकर उसकी बीमारी को ठीक भी किया। इससे हमें यह सीख मिलती है कि यीशु हर प्रार्थना को सुनते हैं और उनकी इच्छा हमें उपचार और पवित्रता प्रदान करना है।

उस समय कुष्ठ रोग एक ऐसी बीमारी थी जिसके कारण लोग समाज से बहिष्कृत हो जाते थे। यीशु ने न केवल उस व्यक्ति को शारीरिक रूप से ठीक किया, बल्कि उसे समाज में वापस भी लाया। इससे हमें यह सीख मिलती है कि यीशु में हमें हर तरह के बहिष्कार और अलगाव से मुक्ति दिलाने की शक्ति है।

सामाजिक बहिष्कार से मुक्ति

उस समय, कोढ़ियों को समाज से दूर रहना पड़ता था। वे अकेलेपन और निराशा में रहते थे। लेकिन यीशु ने कोढ़ी को छुआ और न केवल उसकी बीमारी ठीक की बल्कि उसे समाज में वापस आने का मौका भी दिया। इससे हमें यह सीख मिलती है कि यीशु हमारे जीवन में हर तरह के अलगाव और बहिष्कार को दूर कर सकते हैं।

आज के समय में भी कई लोग मानसिक या सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस करते हैं। यीशु का यह कथन हमें याद दिलाता है कि वह हमारे साथ हैं और हमें समाज में एक नया स्थान दे सकते हैं।


चंगाई के वचन

3. उठो, अपनी खाट उठाओ और चलो (यूहन्ना 5:8)

यूहन्ना के सुसमाचार में एक घटना है जब यीशु ने एक ऐसे व्यक्ति को चंगा किया जो अड़तीस साल से बीमार था और बेथेस्डा के तालाब के पास लेटा हुआ था। यीशु ने उससे पूछा, “क्या तुम ठीक होना चाहते हो?” और फिर उसे आज्ञा दी, “उठो, अपनी खाट उठाओ और चलो।” और वह व्यक्ति तुरंत ठीक हो गया।

इच्छा और कार्य

इस चंगाई के वचन में, यीशु हमें सिखाते हैं कि उपचार के लिए हमारी इच्छा और कार्य दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। यीशु ने उस व्यक्ति से पूछा कि क्या वह ठीक होना चाहता है, और फिर उसे कार्य करने का आदेश दिया। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में बदलाव करने और यीशु की आज्ञाओं का पालन करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

नई शुरुआत

अड़तीस साल तक बीमार रहने के बाद, उस व्यक्ति को एक नई शुरुआत मिली। यीशु ने न केवल उसे शारीरिक रूप से ठीक किया बल्कि उसे एक नया जीवन भी दिया। यह हमें सिखाता है कि यीशु हमारे जीवन में एक नई शुरुआत और नई आशा ला सकते हैं, चाहे हम कितने भी लंबे समय से किसी समस्या से जूझ रहे हों।

उस आदमी की स्थिति को समझना ज़रूरी है। वह अड़तीस साल से बीमार था और शायद अपनी हालत की वजह से वह बहुत ज़्यादा परेशान था। लेकिन यीशु ने उसे एक नया जीवन दिया। इससे हमें यह सीख मिलती है कि यीशु हमारे जीवन में भी एक नई शुरुआत ला सकता है।


निष्कर्ष

यीशु मसीह के ये तीन चंगाई के वचन हमें दिखाते हैं कि उनके पास हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अस्तित्व के सभी पहलुओं को ठीक करने की शक्ति है। उनका विश्वास, इच्छा और आज्ञाएँ न केवल हमें बीमारियों से मुक्ति दिलाती हैं बल्कि हमें एक नई आशा और शांति भी देती हैं। अगर हमें यीशु पर विश्वास है और उनके वचनों का पालन करते हैं, तो हम भी उसी उपचार और आशा का अनुभव कर सकते हैं जो उन्होंने अपने पास आने वालों को दी थी।

यीशु मसीह के ये चंगाई के वचन हमें याद दिलाते हैं कि चाहे हम किसी भी स्थिति में हों, यीशु हमारे साथ हैं और वे हमें उपचार और शांति देना चाहते हैं। आइए हम उन पर विश्वास रखें और उनके वचनों को अपने जीवन में लागू करें ताकि हम भी उसी उपचार और आशा का अनुभव कर सकें जो उन्होंने अपने शिष्यों और अनुयायियों को दी थी।


Pastor Animesh Kumar

लेखक: पास्टर अनिमेष कुमार

बाइबल शिक्षक, पास्टर, सुसमाचार प्रचारक, संस्थापक “येशु आने वाला है मिनिस्ट्री”

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