अय्यूब की कहानी | Story of Job | Sunday School

Ayub ki kahani | अय्यूब की कहानी

आप सभी का हमारे एक और लेख के माध्यम से Yeshu Aane Wala Hai Blog में स्वागत है। बच्चों आज मैं आपको बताने जा रहा हूं (अय्यूब की कहानी | Story of Job) अय्यूब की कहानी में, अय्यूब एक खरा व्यक्ति था जिसके पास बहुत सारे धन संपत्ति और बहुत सारे दास दासी थे, वो बहुत ही खुशाल था। लेकिन एक दिन अय्यूब के जीवन में शैतान ने परीक्षा लाकर आया और उसकी हर एक चीज को बर्बाद कर दिया, और उसके पास जो कुछ भी था सब नष्ट कर दिया। लेकिन अय्यूब ने भी परमेश्वर पर अपने विश्वास को कभी भी नहीं छोड़ा, औरअय्यूब विश्वास में बना रहा, जिसकी वजह से परमेश्वर ने उसे दोगुना आशीष दिया।

तो बच्चों आज इस कहानी को आप बड़े ही ध्यान से पढ़ें, क्योंकि आज की ये कहानी आपको आत्मिक जीवन में बढ़ने के लिए मदद करेगी, तो चलिए बच्चों, हम सब मिलकर आज की कहानी को पढते हैं।

खरा व्यक्ति अय्यूब की कहानी

अय्यूब की कहानी बहुत समय पहले, एक आदमी था जिसका नाम अय्यूब था। वह आदमी बहुत धनवान और परमेश्वर का भक्त था। उसके पास बहुत सारी संपत्ति थी, जैसे कि हज़ारों भेड़-बकरियाँ, ऊँट, गाय, और गधे। उसका एक बड़ा परिवार था – सात बेटे और तीन बेटियाँ। वह अपने परिवार का बहुत ध्यान रखता था और उनके लिए प्रार्थना करता था ताकि वे हमेशा परमेश्वर के मार्ग पर चलें।

अय्यूब इतना धार्मिक था कि वह बुराई से दूर रहता और हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलता था। वह अपनी खुशहाली के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देता और दूसरों की मदद करता। परमेश्वर भी उससे बहुत प्रसन्न थे।

अय्यूब की कहानी | Story of Job | Sunday School

परमेश्वर के सामने शैतान का जाना

अय्यूब की कहानी में एक दिन ऐसा हुआ, कि स्वर्ग में परमेश्वर के सामने उनके स्वर्गदूतों के साथ शैतान भी स्वर्ग में आया। और शैतान ने परमेश्वर से कहा, अय्यूब आपसे इसलिए प्यार करता है क्योंकि आपने उसे सब कुछ दिया है। अगर आप उसकी संपत्ति और खुशियाँ छीन लें, तो वह आपकी आराधना कभी भी नहीं करेगा। परमेश्वर ने शैतान को उत्तर दिया, अय्यूब मेरा सच्चा भक्त है। मैं तुम्हें अनुमति देता हूँ कि तुम उसकी परीक्षा लो, लेकिन एक बात याद रखना कि उसकी जान को मत छूना।

शैतान के द्वारा अय्यूब की परीक्षा की शुरुआत

शैतान ने यह सुनकर अय्यूब की परीक्षा लेने की ठानी। उसने अय्यूब की संपत्ति और परिवार को बर्बाद करना शुरू कर दिया। सबसे पहले, उसके खेतों पर डाकुओं ने हमला किया और उसके सारे पशु चुरा लिए। फिर, एक बड़ी आग ने उसकी सारी फसलें और घर को नष्ट कर दिया। उसके बाद, एक तूफान आया और उसके बेटे और बेटियों के घर को गिरा दिया, जिससे उसके सभी बेटे और बेटियों की मृत्यु हो गई। इतनी बड़ी त्रासदी के बावजूद, अय्यूब ने परमेश्वर पर विश्वास नहीं छोड़ा। उसने कहा, जो कुछ परमेश्वर ने दिया और फिर उसी परमेश्वर ने ले लिया। उसका नाम धन्य है।

और जब शैतान ने देखा कि अय्यूब ने अभी भी परमेश्वर पर विश्वास रखा है, तो उसने फिर से परमेश्वर से कहा, अगर आप अय्यूब के शरीर को तकलीफ देंगे, तो वह आपकी आराधना छोड़ देगा। परमेश्वर ने शैतान को यह भी अनुमति दी, लेकिन चेतावनी दी कि उसकी जान मत लेना।

अय्यूब की कहानी | शरीर पर भयंकर फोड़े का निकलना

इसके बाद अय्यूब की कहानी में, शैतान ने अय्यूब के शरीर पर भयंकर फोड़े डाल दिए। अय्यूब इतनी तकलीफ में था कि वह अपने शरीर को मिट्टी से खुजलाता रहता। उसकी हालत देखकर उसकी पत्नी ने कहा, तुम अभी भी परमेश्वर पर विश्वास करते हो? क्यों न तुम परमेश्वर को श्राप देकर मर जाओ? लेकिन अय्यूब ने अपनी पत्नी से कहा, हमने परमेश्वर से सुख स्वीकार किया, तो दुख क्यों नहीं सह सकते?

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अय्यूब के तीन दोस्त एलीफज़, बिल्दद और सोफर

इसके बाद अय्यूब की कहानी में उसके ये तीन दोस्त एलीफज़, बिल्दद और सोफर उसकी हालत का हाल जानने आए। वे उसे सांत्वना देने की कोशिश करने लगे। लेकिन जब उन्होंने अय्यूब की हालत देखी, तो वे सात दिन तक चुपचाप उसके साथ बैठे रहे, क्योंकि वे उसकी पीड़ा को देखकर कुछ कह नहीं सके। इसके बाद, अय्यूब के दोस्तों ने अय्यूब से बातें करना शुरू किया। उन्होंने उससे कहा कि यह सब अय्यूब के पापों का फल है। उन्होंने उसे यह मानने के लिए कहा कि उसने ज़रूर कुछ गलत किया होगा, जिसके कारण उसे यह सज़ा मिल रही है।

लेकिन अय्यूब ने जोर देकर अपने दोस्तों से कहा कि उसने कोई पाप नहीं किया है। उसने परमेश्वर से प्रार्थना की और पूछा, हे परमेश्वर, मुझे बताओ कि मैंने ऐसा क्या किया है, जिसके कारण मुझे यह दुख सहना पड़ रहा है।अय्यूब के दोस्तों की बातें सुनकर अय्यूब बहुत दुखी हो गया। लेकिन उसने परमेश्वर से अपने विश्वास को कभी नहीं खोया। उसने अपनी पूरी परिस्थिति को परमेश्वर के हाथों में सौंप दिया।

कुछ समय बाद, एक युवक एलीहू ने अय्यूब और उसके दोस्तों से कहा, परमेश्वर महान है और उसकी योजनाएँ हमारी समझ से परे हैं। हमें परमेश्वर पर विश्वास रखना चाहिए, चाहे कुछ भी हो।

परमेश्वर का अय्यूब से सीधे बात करना

अय्यूब की कहानी फिर, परमेश्वर ने अय्यूब से सीधे बात की। उन्होंने कहा, अय्यूब, क्या तुमने यह संसार बनाया है? क्या तुमने समुद्र और पहाड़ों को आकार दिया? क्या तुम पक्षियों और पशुओं को उनका खाना देते हो? मैं सृष्टि का निर्माता हूँ, और मेरी योजनाएँ हमेशा उचित होती हैं। तुम्हें मुझ पर विश्वास रखना चाहिए।

अय्यूब ने परमेश्वर के शब्दों को सुना और कहा, हे परमेश्वर, मुझे खेद है कि मैंने आपसे सवाल पूछे। मैं समझ गया हूँ कि आप महान हैं और आपकी योजनाएँ हमारी सोच से परे हैं। मैं आपकी आराधना करता हूँ।

परमेश्वर अय्यूब की विनम्रता और विश्वास से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने अय्यूब के दोस्तों को फटकारा, क्योंकि उन्होंने गलत बातें कही थीं। परमेश्वर ने अय्यूब को आशीर्वाद दिया और उसकी संपत्ति को दोगुना कर दिया। उसके पास पहले से अधिक पशु, धन और एक बड़ा परिवार हुआ। उसके सात बेटे और तीन बेटियाँ फिर से हुए, और उसकी बेटियाँ इतनी सुंदर थीं कि पूरे देश में उनकी तुलना नहीं थी।

अय्यूब की कहानी का निष्कर्ष

तो बच्चों, अय्यूब का जीवन यह सिखाता है कि परमेश्वर के प्रति विश्वास और धैर्य का महत्व अत्यधिक है। अय्यूब को जीवन के सभी क्षेत्र में कष्ट सहने पड़े उसके परिवार के सदस्य मरे, उसकी संपत्ति नष्ट हो गई और उसके शरीर पर बीमारी का प्रकोप हो गया। इसके बावजूद, अय्यूब ने कभी भी परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास को नहीं छोड़ा।

उसने कहा, तुम्ही ने मुझे उत्पन्न किया, और तुम ही मेरा जीवन समाप्त कर सकते हो (अय्यूब 1 का 21)। यह वाक्य इस बात का प्रतीक है कि अय्यूब ने परमेश्वर को सर्वोच्च माना और उसके द्वारा किए गए कार्यों में विश्वास बनाए रखा। मसीही जीवन में भी जब हमें कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, तो हमें परमेश्वर पर विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि वह हमारे जीवन का मार्गदर्शक है और हमें कभी अकेला नहीं छोड़ता।

अय्यूब का जीवन इस तथ्य का भी प्रमाण है कि परमेश्वर अपने विश्वासियों को परीक्षा में डालता है, लेकिन यह परीक्षा हमें मजबूत बनाने के लिए होती है। अय्यूब की परीक्षा ने उसे आंतरिक रूप से शुद्ध और मजबूत बनाया। परमेश्वर ने उसे यह अवसर दिया ताकि वह अपने विश्वास में और भी दृढ़ हो सके।

जैसे अय्यूब ने कहा, “मैंने कानों से तुझे सुना था, परंतु अब मेरी आंखों से तुझे देखता हूं” (अय्यूब 42 का 5)। इस वाक्य से यह स्पष्ट होता है कि कठिन समय ने अय्यूब के आत्मविश्वास को और अधिक परिपक्व किया और उसने परमेश्वर को अपनी आँखों से देखा। मसीही विश्वासियों के लिए यह एक प्रेरणा है कि वे कठिन समय के दौरान अपने विश्वास में स्थिर रहें, क्योंकि परमेश्वर का उद्देश्य हमसे कुछ अधिक है।

बच्चों, अय्यूब का जीवन हमें यह सिखाता है कि संकट और कठिनाइयों के बावजूद हमें अपने विश्वास और आस्था को बनाए रखना चाहिए। परमेश्वर के मार्गदर्शन, न्याय और दया पर विश्वास करते हुए, हमें यह समझना चाहिए कि जीवन में आने वाली सभी परेशानियाँ हमारी आत्मिक उन्नति और शुद्धि के लिए होती हैं। अय्यूब के जीवन से यह शिक्षा भी मिलती है कि परमेश्वर हमेशा हमारे साथ है, चाहे हम किसी भी स्थिति में हों।

बच्चों, अगर अय्यूब की कहानी आपको पसंद आई तो इस लेख को को अपने मसीही भाई बहनों में शेयर जरूर कीजिएगा।

परमेश्वर आप सभी को आशीष दे ।


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