दोस्तों, आप सभी का हमारे एक और लेख के माध्यम से Yeshu Aane Wala Hai Website में स्वागत है। आज के इस लेख के माध्यम से हम जानने वाले हैं, यीशु मसीह का पुनरुत्थान के बारे में विस्तार से जानने जा रहे है। जैसे कि पुनरुत्थान का प्रमाण, यीशु के पुनरुत्थान का स्पष्टीकरण, यीशु का पुनर्जीवित शरीर, पुनरुत्थान का परिणाम, आदि के बारे में । इन सभी बातों को जानने के लिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें, ताकि आप इन बातों को और अच्छे से समझ सके। धन्यवाद
यीशु मसीह का पुनरुत्थान प्रस्तावना
पुनरुत्थान का सिद्धांत नए नियम का बुनियादी सिद्धांत है। पुनरुत्थान को नए नियम में 104 बार व्यक्त किया गया है। मसीहियत ही एकमात्र ऐसा धर्म है जिसका प्रवर्तक जीवित है। संसार में बहुत सारे महान लोग हुए हैं, बहुत सारे ज्ञानी हुए हैं, लेकिन उनमें से कोई भी मरने के बाद फिर से अपने शरीर के साथ जिंदा नहीं हुए है। सब मर मिट कर खत्म हो चुके हैं। मसीहियत का गौरव और महिमा खाली कब्र है, यीशु मसीहजी उठा है। क्रूस पर यीशु ने पुकार कर कहा, ” पूरा हुआ” और पिता ने पुत्र को मृतकों में से जिलाने के द्वारा कहा, “आमीन”
यदि यीशु मसीह कब्र में से नहीं जी उठा, तोह हम सब मनुष्यो से अभागे है, क्योकि हम अभी भी पापों में पड़े है, हम भटके हुए है; हम अनन्तकाल तक भटके रहेंगे; ( 1 कुरिं 15: 16 – 19)। यीशु कहा कि वह मर जाएगा, और तीसरे दिन मुर्दो में से जी उठेगा (मत्ती 16:21)। यदि पुनरुत्थन सत्य है, तो यीशु मसीह निश्चय ही परमेश्वर का पुत्र है, यह ऐसा आश्चर्यकर्म है जिस पर अन्य सभी आश्चर्यकर्म आधारित है। यदि यह आश्चर्यकर्मों में से महान आश्चर्यकर्म सत्य है, तोह अन्य सभी पर विश्वास करना सरल है।
यीशु मसीह के पुनरुत्थान का प्रमाण
(1.) खाली कब्र: मत्ती 28:6, “वह यहाँ नहीं है, परन्तु अपने वचन के अनुसार जी उठा है; यह स्थान देखो, जहाँ प्रभु पड़ा था। ” लूका 24:3, “और भीतर जाकर प्रभु यीशु मसीह की लोथ न पाई।
(2) स्वर्गदूतों की साक्षी: मत्ती 28:6 (ऊपर वाला वचन); लूका 24: 5-7 भी देखिये। तुम जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूंढती हो? वह यहाँ नहीं परन्तु जी उठा है; स्मरण करो, कि उसने गलील में रहते हुए तुमसे कहा था कि अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ में पकड़वाया जाए, और क्रूस पर चढ़ाया जाए, और तीसरे दिन जी उठे। “
(3) लोग जिन्होंने उसके पुनरुत्थान के बाद उससे बातचीत की: पतरस, मरियम, क्लयोपास और थोमा।
(4) यीशु मसीह ने अपने पुनरुत्थान के बाद अपने मित्रों के साथ खाया-पिया और उनको अपने घाव दिखाए।
(5) उसको पाँच सौ लोगों ने एक साथ देखा: 1 कुरिन्थियों 15:6, “फिर(यीशु मसीह) पाँच सौ भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, जिनमे से बहुतेरे अब तक वर्तमान है, पर कितने सो गए।”
(6) वह स्तिफनुस को उसके शहीद होते समय दिखाई दिया : प्रेरितों के काम 7:56, ” कहा देखो, मैं स्वर्ग हुआ और मनुष्य के पुत्र को परमेश्वर की दाहिनी ओर खड़ा हुआ देखता हूँ।
(7) यीशु मसीह दमिश्क के मार्ग पर पौलुस पर प्रकट हुआ: प्रेरितों के काम 9:5, “उसने पूछा; हे प्रभु, तू कौन है ? उसने कहा; मैं यीशु हूँ, जिसे तू सताता है।
(8) यह लाखों लोगों की साक्षी है जिन्होंने उसे एक जीवित उद्धारकर्ता प्रमाणित कर दिया है।
(9) अनेक अकाट्य प्रमाणों द्वारा; प्रेरितों के काम 1: 3
यीशु के पुनरुत्थान का स्पष्टीकरण
बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो यीशु मसीह के पुनरुत्थान की घटना को सत्य नहीं मानते हैं वे ऐसा मानते हैं, कि यह सारी बातें काल्पनिक है लोगों ने अपने मन से बनाई है। जैसे कि कुछ बातें जो दी गई।
(1) छल- कपट की परिकल्पना – यीशु मसीह पूरी कहानी एक धोखा है, यह जानबुझ कर रचा गया ढोंग है इतिहास और पवित्रशास्त्र ऐसे हास्यास्पद परिकल्पना का स्पष्टता से इंकार करते है।
(2)बेहोश होने की परिकल्पना – यीशु केवल बेहोश हो गया था, क्योकि सैनिको ने उसे जान से नहीं मारा था, और ठंडी कब्र और सुगन्धित द्रव्यों ने उसके होश लौटा दिए और उसे फिर जीवन प्राप्त हो गया। परन्तु इसके विपरीत वे सुगन्धित द्रव्य विषैले थे, इनसे तोह तत्काल ही उसकी मृत्यु हो सकती थी।
(3)मतिभ्रम की परिकल्पना – चेले यीशु मसीह के इच्छुक थे, और उनका विचार था की वह जी उठेगा, इसलिए अपने विचारो में उन्होंने यह कल्पना कर ली कि उन्होंने उसको देखा।
बाइबल हमे बताती है कि चेले अविश्वास में डूबे हुए थे और उसको देखने के बाद भी वे मुश्किल से विश्वास कर सके। थोमा ने तो बिना छुए उस पर विश्वास करने से इंकार कर दिया था। चेले अविश्वसनीय रूप में अविश्वासी थे जिसके लिए यीशु ने उसको झिड़का था; लूका 24- 25
(4) आत्मा की परिकल्पना – उन्होंने केवल यीशु मसीह की आत्मा को देखा और उसको यीशु समझ लिया। आत्मा में शरीर और हड्ड़ियां नहीं होती, वह खा-पी नहीं सकती: लूका 24: 39,43
(5)मन -गढ़ंत (myth) होने की परिकल्पना – यह काल्पनिक कथा है जो पूर्वजों ने हमे सौपी है, इसमें सच्चाई नहीं है। बाइबल का समस्त धर्म-विधान और इतिहास इस परिकल्पना को झूठा ठहराते है।
(6) सही स्पष्टीकरण – यीशु मसीह कब्र से शरीर सहित जी उठा, जैसा कि उसने की वह फिर जी उठेगा, प्रेरितों के काम 2 -24 “परन्तु उसी को परमेश्वर के बन्धनों से छुड़ा कर जिलाया, क्योकि ऐसा हो नहीं सकता था कि वह उसके वाश में रहता।”
इन लेखों को जरूर पढ़ें :-
यीशु का पुनर्जीवित शरीर
(1) इसमें मांस और हड्डियां थी, लूका 24: 39, ” तुम मेरे हाथ और मेरे पावो को देखो, कि मैं वही हूँ, मुझे छूकर भी देख लो, क्योकि आत्मा के हड्डी और मांस नहीं होता है। जैसा मुझमें तुम देखते हो।
(2) यह एक महिमायुक्त शरीर था, फिलिपियों 3:21 “वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार, वह सब वस्तुओ को अपने वाश में कर सकता है, हमारी दीन हीन देह रूप बदल कर अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।”
(3) यह एक अमर शरीर था – ऐसा शरीर जो कभी मरेगा, रोमियों 6:9, ” क्योकि यह जानते है कि मसीह मरे हुओं में से जी उठकर, फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु प्रभुता नहीं होने की।”
(4) यह एक आत्मिक शरीर था, 1 कुरिन्थियों 15: 44 “स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है।”
(5) आत्मिक शरीर में ठोस दीवार के अन्दर प्रविष्ट हो जाने की सामर्थ्य है, यूहन्ना 20:19, उसी दिन सप्ताह का पहला दिन था, संध्या के समय जब वहां के द्वार जहाँ उसके चेले थे, यहूदियों के डर के मारे कमरे में बन्द थे, तब यीशु मसीह उनके पास आया, और बीच में खड़ा होकर उनसे सबसे कहा, तुम्हे शांति मिले।”
यीशु मृतकों में से प्रकार जी उठा?
(1) पिता की शक्ति द्वारा, प्रेरितो के काम 2:23,24 “अधर्मियों के हाथ से उसे क्रूस पर चढ़वा कर मार डाला। परन्तु परमेश्वर मृत्यु के छुड़ा कर जिलाया। ” प्रेरितों के काम 3:15 और 5:30
(2) मसीह की स्वयं अपनी शक्ति द्वारा, यूहन्ना 2:19 “यीशु ने उसको उत्तर दिया; कि इस मंदिर को ढा दो, और मैं उसे तीन दिन में खड़ा दूंगा।” यूहन्ना 10:18
(3) पवित्र आत्मा की शक्ति द्वारा , 1 पतरस 3:18, वह शरीर की भाव से तोह घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।”
पुनरुत्थान के परिणाम
(1) यह परमेश्वर के अस्तित्व को प्रमाणित करता है। यदि कोई परमेश्वर नहीं है। तो यीशु मरे हुओं में से कैसे जी उठा? वह इसलिए फिर जी उठा कि एक जीवित परमेशर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया।
(2) यह यीशु मसीह के ईश्वरत्तव को प्रमाणित करता है, रोमियों 1:4, (वह पवित्रता की आत्मा के भाव से मरे हुओं में से जी उठने के कारण सामर्थ्य के साथ परमेश्वर का पुत्र ठहरा है।”
(3) इसका अर्थ यह है कि उद्धार एक पूरी की हुई वास्तविकता है। यीशु ने उद्धार का कार्य समय पूरा हुआ जब क्रूस पर मरा और पुनरुत्थान इसको प्रमाणित करता है।
(4) पुनरुत्थान इस तथ्य की निश्चयता है कि प्रत्येक व्यक्ति भी जी उठेगा।
a. धर्मी, अनंत जीवन के लिए।
b. अधर्मी, एक ठोकर न्यायी का सामना करने और हमेशा के लिए दोषी ठहराए जाने के लिए।
(5) यह यीशु को उसकी अगली प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए तैयार करता है – “मैं फिर आऊंगा।”
(6) उसकी “पुनरुत्थान की सामर्थ्य” (फिलिप्पियों 3:10), एक ऐसा अनुभव है जिसका हम आज भी अनुभव कर सकते है इसका अर्थ एक नया जीवन व्यतीत करना है जो कि हमे फिर जी उठे मसीह से मिलता है, जो अपना जीवन हमारे शरीरों द्वारा एक नए सिरे से जीता है।
सारांश
प्रार्थना की शक्ति के बाहर पुनरुत्थान संसार की सबसे महान शक्ति है। पुनरुत्थान परमाणु हाइड्रोजन, कोबाल्ट और यूरेनियम (U 234) की शक्ति से भी अधिक शक्तिशाली है। उनमे नष्ट करने की शक्ति है : पुनरुत्थान में मरे हुओं को जीवन देने की शक्ति है।
कहानी
एक नास्तिक मर जाता है, और उसको पूरा निश्चय होता है कि वह फिर कभी जीवित नहीं होगा, उसकी वसीयत मेरे एक धारा होती है, “मरे शरीर का अग्नि-दाह किया जाए, और मेरी राख को विमान द्वारा सातों समुद्रो में छितरा दिया जाए।” एक हजार वर्षो के बाद पुनरुत्थान में जब तुरही फूंकी जाती है तो वही शरीर फिर एक होकर यीशु मसीह के सामने खड़ा होगा।
काश कि पुनरुत्थान की यही महान शक्ति, मेरे शरीर में व्याक्त होकर मुझे पाप से बचाए रखे। पुनरुत्थान एक आधार है जिस पर मसीहियत आधारित है। पुनरुत्थान मसीही प्रमाणों का ढृढ़ गढ़ है। यह अविश्वासवाद, अज्ञयवाद और नास्तिकता की पूर्ण पराजय है।
चूँकि यीशु मसीह जी उठा, इसलिए भौतिकवाद, नास्तिकता और साम्यवाद का पतन होना आवश्यक है। आज सबसे शक्तिशाली विजेता मृत्यु है जो एक कदम में भूमि को पार करके गोलार्ध में एक खाई खोद कर उसे मृतकों से भर देती है। परन्तु पुनरुत्थान इससे भी बड़ी शक्ति है क्योकि यह कब्र की शक्ति को तोड़ डालती है। आज हम विजयघोष करते है : ” हे मृत्यु तेरी जय कहाँ रही? हे मृत्यु (कब्र) तेरा डंक कहाँ रहा। 1 कुरिन्थियों 15: 44, 56
हम जी उठे उद्धारकर्ता की सेवा करते है। वह आज इस संसार में है। जब हम विजेता यीशु मसीह के नेतृत्व में कलीसिया के योद्धा के रूप में पीछे कूच करते है तो विजय हमारी होती है
काश कि दूसरे भी सचेत हो कि वह जीवित है, और हमारे शरीर में वास करके अपना जीवन व्यतीत करता।