आप सभी भाई बहनों को जय मसीह की, आप सभी का Yeshu Aane Wala Hai Blog मैं स्वागत है। इस लेख में हम 40 दिन का उपवास | उपवास कैसे रखें? | How to keep fasting? के विषय में अच्छे से जानेगें। इस विषय पर अलग-अलग लोगों का अलग-अलग विचार और नजरिया है। आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि क्या एक मसीही व्यक्ति को जो यीशु मसीह पर विश्वास करता है उसे साल में एक बार चालीसा (40 दिन का उपवास) रखने की जरूरत है कि नहीं? आज हम आपको बताएँगे। कि सही मायने में उपवास क्या है? क्या हर मसीही को साल में एक बार 40 दिन को उपवास रखना जरूरी है कि नहीं? इसलिए इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक पूरा जरुर पढ़े ताकि आप सही जानकारी पा सके।
इस लेख में आगे बढ़ने से पहले आप सभी पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी। लेख में जोभी जानकारी दी गई है। वह जानकारी हमें कुछ कैथोलिक मसीह समाज के लोगों के द्वारा प्राप्त हुई है, कि किस प्रकार से वे लोग 40 दिन का उपवास करते हैं। और क्या-क्या कार्य किए जाते हैं। इसलिए इस लेख को पढ़ते समय आप इस बात का ध्यान रखें, कि ये जानकारी बाइबल आधारित नहीं है।
और इस लेख के अंत में आपको हम बताएंगे, कि ये 40 दिन का उपवास रखना हर एक मसीह समाज के लोगों के लिए जरूरी है कि नहीं? इस लेख के अंत में दिए गए निष्कर्ष (Conclusion) को जरूर पढ़ें।
कैथोलिक समाज और कुछ अन्य मसीही संगठन 40 दिन का उपवास रखते हैं। और वे ऐसा मानते हैं कि इन 40 दिनों में हर इंसान को अपना शुद्धिकरण करना चाहिए। और इन दिनों में हर किसी को अपने मन से सभी प्रकार के राग द्वेष निकालकर एकता के साथ एक दूसरे के साथ व्यवहार करना चाहिए। और वे इन दिनों में किसी प्रकार की मदिरा का सेवन नहीं करते और ना ही भोग विलास में जीवन बिताते हैं। लेकिन क्या यह बाइबल आधारित है? क्या बाइबल हमें इस प्रकार से वर्ष में एक बार उपवास रखने के लिए कहती है? या फिर बाइबल का उपवास कुछ और ही है? इन सब बातों को आज मैं आप लोगों को बताने जा रहा हूं।
40 दोनों का उपवास क्या है?
कैथोलिक और कुछ अन्य मसीह समुदाय के लोग 40 दिन का उपवास रखते हैं। इसकी शुरुआत राख बुधवार के दिन से होती है राख बुधवार जिसे ऐश वेडनेसडे भी कहा जाता है। कैथोलिक और कुछ अन्य मसीह समुदाय के लोग राख बुधवार के दिन से लेकर अगले 40 दिनों तक यह उपवास प्रार्थना करते है। इन उपवास के दोनों को लेटेन सीजन भी कहा जाता है। इस उपवास के दौरान ये लोग प्रार्थना करने में समय बिताते है और हर एक पाप से खुद को दूर रखने की कोशिश करते हैं।
और वे लोग ऐसा मानते हैं कि यह 40 दिन परमेश्वर का दिन है और इन 40 दिनों में हमें कोई भी गलत काम या पाप नहीं करना चाहिए ना ही अपने सोच विचार के द्वारा और ना ही अपने शरीर के द्वारा। इन 40 दिनों के दौरान वे लोग किसी भी प्रकार के मांस मछली का सेवन नहीं करते और ना ही धूम्रपान और मदिरापान करते हैं। और वे मानते हैं कि ऐसा करके वो एक पवित्र व्यक्ति बन जाते हैं।
ऐश वेडनेसडे क्या है ? | राख बुधवार क्या है ?
राख बुधवार के दिन आम तौर पर शाम के समय में कैथोलिक समाज और कुछ अन्य के मसीह समाज के लोग पिछले वर्ष के खजूर रविवार या (पाम संडे) की जली हुई जैतून की डालि की राख या खजूर के पत्तों की जली हुई राख को अपने माथे पर लगाते हैं। और ये लोग इस प्रकार मानते हैं कि मनुष्य को यह याद रखना चाहिए कि मनुष्य केवल मिट्टी है। और फिर वह मिट्टी में ही मिल जाएगा। इस बात को याद दिलाने के लिए राख बुधवार को मानते है जिसे ऐश वेडनेसडे कहते हैं।
राख बुधवार क्यों मनाते हैं?
राख बुधवार को कैथोलिक और कुछ अन्य मसीह समाज के लोग अपने आप को उपवास प्रार्थना के द्वारा पश्चाताप करने का एक पवित्र दिन मानते हैं।और वे लोग इस दिन खुद को यह याद दिलाते हैं कि मनुष्य केवल मिट्टी ही है और फिर से वह मिट्टी में मिल जाएगा। और इस दिन से लेकर अगले 40 दिनों तक यह लोग प्रभु यीशु मसीह के द्वारा किए गए उसके बलिदान को याद करते हैं।
ऐश वेडनेसडे पर क्या करते हैं?
ऐश वेनसडे के दिन या राख बुधवार के दिन कैथोलिक समाज और कुछ अन्य मसीह समाज के लोग अपने माथे पर राख लगते हैं। और माथे पर राख लगाने का मकसद यह होता है कि वे याद रखें की मनुष्य मिट्टी है और 1 दिन वो मिट्टी में ही मिल जाएगा। इसके साथ ही साथ वे लोग अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं और अपने अहंकार को छोड़ने के लिए प्रार्थना करते हैं। राख बुधवार को ये सभी लोग अपने जीवन पर चिंतन करते हैं अपने पापों के प्रति पश्चाताप करते हैं, और इस दिन को पवित्र मानते हैं। और आने वाले 40 दिनों के लिए खुद को विनम्र और दीन बनाए रखते हैं , और साथ ही साथ उपवास और प्रार्थना में लगे रहते हैं। इस प्रकार से मैं अपनी आस्था को यीशु मसीह की तरफ दिखाते हैं।
40 दिन का उपवास के विषय में और अधिक जानने के लिए इस वीडियो को जरूर देखें।
इस वीडियो में 40 दिन का उपवास किन लोगों को नहीं रखना चाहिए? सारी बातों की जानकारी दी गई है, इसलिए इस वीडियो को अवश्य देखें ।
40 दिन का उपवास किन लोगों को नहीं रखना चाहिए?
40 दिन का उपवास किन लोगों को रखना चाहिए? क्या केवल कैथोलिक समाज के लोगों को या उनसे जुड़े हुए कुछ मसीही समाज के लोगों को ही इन 40 दोनों का उपवास रखना जरूरी है? या फिर हर एक व्यक्ति जो प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करता है उसे यह 40 दिन का उपवास रखना चाहिए? यह एक ऐसा सवाल है जो कई बार बहुत सारे मसीह लोगों के मन में आता है।
40 दिन का उपवास
अगर आपके मन में भी यह सवाल है कि 40 दिन का उपवास आपको रखना जरूरी है या नहीं? तो सबसे पहले मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि आप किसी भी मसीही समाज से जुड़े हुए हो, या मानते हो, आपके लिए 40 दिन का उपवास रखना जरूरी नहीं है। क्योंकि बाइबिल में इसके विषय में कोई भी जानकारी नहीं दी गई है कि एक मसीह व्यक्ति को राख बुधवार से लेकर गुड फ्राइडे तक 40 दिन का उपवास रखना जरूरी है।
बाइबल में 40 दिन का उपवास
बाइबल में जब हम 40 दिन के उपवास के बारे में देखते हैं तो हमें पता चलता है की पुराने नियम और नए नियम दोनों जगह में 40 दिन का उपवास किया गया है। पुराने नियम में मूसा के द्वारा 40 दिन का उपवास किया गया था। और नए नियम में प्रभु यीशु मसीह के द्वारा 40 दिन का उपवास किया गया था। जब प्रभु यीशु मसीह ने बपतिस्मा लिया उसके तुरंत बाद वह 40 दिन के उपवास के लिए निकल गए थे। लेकिन इन दोनों घटनाओं में एक बात को हमें समझना बहुत जरूरी है जो कि मैं आपको आगे बताने जा रहा हूं।
पुराने नियम में 40 दिन का उपवास
जब मूसा परमेश्वर के पास पहाड़ पर परमेश्वर के साथ 40 दिन तक रहा और परमेश्वर से बातचीत करता रहा। लेकिन यहां समझने वाली बात यह है कि जब मूसा 40 दिनों तक परमेश्वर के संगति में था तो वह अपनी इच्छा से नहीं परंतु परमेश्वर की इच्छा के अनुसार 40 दिनों तक उस पहाड़ पर था। और मूसा ने परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार परमेश्वर के संगति में पहाड़ पर 40 दिन बिताया। (निर्गमन 24:12-18,)
नए नियम में 40 दिन का उपवास
जब प्रभु यीशु मसीह ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के हाथों से बपतिस्मा लिया और उसके तुरंत बाद वे 40 दिन के उपवास के लिए जंगल में चले गए। यहां पर भी हम एक बात को देख सकते हैं, कि जब प्रभु यीशु मसीह का बपतिस्मा हुआ उसके तुरंत बाद पवित्र आत्मा ने उन्हें जंगल में जाने के लिए प्रेरित किया। और वह 40 दिन के उपवास के लिए जंगल की ओर चल दिए। ताकि शैतान के द्वारा उनकी परीक्षा हो सके। (मत्ती 4 :1)
इन दोनों घटनाओं में एक बात समान रूप से हम देख सकते है, कि जब मूसा परमेश्वर के पास उसे पहाड़ पर गया तो मूसा को भी परमेश्वर ने ही अपने पास आने के लिए कहा था। इसी प्रकार से जब प्रभु यीशु मसीह ने बपतिस्मा लिया तो पवित्र आत्मा ने उन्हें जंगल में जाकर उपवास करने के लिए कहा।
इन दोनों घटनाओं से हमें यह समझना चाहिए, कि चाहे पुराने नियम में या चाहे, नए नियम में उन 40 दोनों का उपवास करने के लिए परमेश्वर की आत्मा ने प्रेरित किया था। लेकिन आज जिस तरह से 40 दिन का उपवास किया जाता है उसमें परमेश्वर की आत्मा की अगुवाई हम नहीं पाते। इससे हटकर मनुष्य की विधि और आज्ञा को हम देख सकते हैं।
Conclusion
निष्कर्ष
प्रिय भाइयों और बहनों अब हम आपको इस लेख के अंत में यह बताना चाहता है। कि किस तरह से आज बहुत सारे मसीह समाज के लोग अपनी इच्छा के अनुसार बहुत सारे कामों को चर्च में कर रहे हैं। उनमें से एक काम यह भी है जिसके विषय में आज हमने इस लेख के माध्यम से आप लोगों को बताया है। यानी की 40 दिन का उपवास।
इन 40 दिनों के उपवास के दौरान जो कुछ भी लोग करते हैं वह बाइबल आधारित नहीं है। जैसे की इन 40 दिनों में तमाम नशे के पदार्थ को छोड़ देते हैं, और खुद को पवित्र रखने की कोशिश करते हैं। जबकि बाइबल तो हमें यह बताती है, कि जब एक व्यक्ति उद्धार पा लेता है तो उसे हमेशा के लिए इस बातों को छोड़ देना चाहिए। केबल वर्ष में एक बार 40 दिनों के लिए ऐसा नहीं करना है परंतु तमाम जीवन उसे पवित्रताई का जीवन जीना चाहिए।
अगर आप एक उद्धार पाए हुए व्यक्ति हैं तो आपके लिए केवल वर्ष में 40 दिन पवित्र रहने की जरूरत नहीं है परंतु हर एक दिन जब तक आप जीवित है पवित्र रहने की जरूरत है। इसलिए इस तरह से उपवास करके आप केवल खुद को धोखा दे सकते हैं परमेश्वर को नहीं। अगर आप उपवास रखना चाहते हैं तो पूरे वर्ष में कभी भी आप उपवास रख सकते हैं सिर्फ चुने हुए कुछ दिन ही आपके लिए उत्तम नहीं है हर दिन आपके लिए उत्तम है। धन्यवाद्
40 दिन के उपवास के बारे में आप क्या सोचते हैंहमें कमेंट करके जरूर बताएं।
God bless you
God Bless You. Yogesh Jangam ji