मिस्र पर 10 विपत्तियाँ | बाइबल की कहानी | 10 Plagues of Egypt

मिस्र पर 10 विपत्तियाँ | बाइबल की कहानी | 10 Plagues of Egypt

आप सभी का Yeshu Aane Wala Hai Blog में स्वागत है। आज के इस लेख के माध्यम से हम जानने वाले हैं। मिस्र पर 10 विपत्तियाँ | बाइबल की कहानी | 10 Plagues of Egypt के बारे में। आज इस लेख में हम उन 10 विपत्तियों के बारे में जानेगें, जिन्हें परमेश्वर ने मिस्र देश पर भेजी गई थी ताकि परमेश्वर मिस्र के राजा फिरौन को और वहां के लोगों को यह दिखा सके कि परमेश्वर उनके देवी-देवताओं से बढ़कर है और परमेश्वर अपने लोगों को बचा भी सकता है। तो इन सारी बातों को जो मिस्र में घाटी थी आज हम विस्तार से जानेंगे।

मिस्र देश पर परमेश्वर की ओर से भेजी गई 10 विपत्तियाँ

पुराने नियम (ओल्ड टेस्टामेंट) में निर्गमन की पुस्तक (Exodus) में वर्णित 10 विपत्तियाँ (Plagues of Egypt) बाइबल की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक हैं। ये 10 विपत्तियाँ परमेश्वर (यहोवा) ने मिस्र देश पर भेजीं ताकि फिरौन (Pharaoh) इस्राएलियों को गुलामी से मुक्त कर दे। इस लेख में हम इन विपत्तियों का क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन करेंगे और समझेंगे कि परमेश्वर ने क्यों और कैसे ये विपत्तियाँ भेजीं, और उनका उद्देश्य क्या था।


1. जल का लहू बनना (The Water Turning into Blood)

पहली विपत्ति में परमेश्वर ने मिस्र के सभी जल स्रोतों को लहू में बदल दिया। नील नदी, जिसे मिस्रवासी जीवनदायिनी मानते थे, लहू में परिवर्तित हो गई। मछलियाँ मर गईं और बदबू फैल गई। लोग पीने योग्य पानी के लिए तरस गए।


तब यहोवा परमेश्वर ने मूसा से कहा तू अपने भाई हारून से कह दे कि वह अपनी लाठी को उठाकर मिश्रा के सारे जल स्रोतों पर मार दे, जैसे की नदियों पर लहरों पर तालाबों पर और अन्य सभी जल स्रोतों पर भी अपनी लाठी को बढ़ाएं, उसके बाद मिस्र देश का सारा पानी लहू बन जाएगा। (निर्गमन 7:19)

यह विपत्ति मिस्रवासियों के देवता हापी (Hapi) के प्रति चुनौती थी, जिसे नील नदी का देवता माना जाता था। और इस देवता पर मिस्र देश के लोगों का बहुत ही ज्यादा भरोसा था इसलिए परमेश्वर ने उन्हें यह जताया कि परमेश्वर ही सर्वशक्तिमान है।


मिस्र पर 10 विपत्तियाँ | बाइबल की कहानी | 10 Plagues of Egypt

2. मेंढकों की विपत्ति (The Plague of Frogs)

दूसरी विपत्ति में देशभर में मेंढकों की भरमार हो गई। मेंढक हर जगह—घरों, बिस्तरों, रसोई और यहां तक कि फिरौन के महल में भी भर गए।

“नील नदी में इतनी अधिक संख्या में मेंढक उभरेंगे कि वे बाहर निकलकर तेरे घरों में घुस जाएंगे। वे तेरे सोने के कमरे, बिस्तर, सेवकों के घरों और हर जगह फैल जाएंगे।” (निर्गमन 8:3)

इस विपत्ति ने मिस्र की देवी हेकट (Heket) को चुनौती दी, जिसे प्रजनन और जीवन का प्रतीक माना जाता था।


3. जूंओं की विपत्ति (The Plague of Lice)

तीसरी विपत्ति में धरती की धूल जूंओं में बदल गई। ये छोटे-छोटे कीड़े इंसानों और जानवरों दोनों को परेशान करने लगे। मिस्र के जादूगर भी इस चमत्कार की नकल नहीं कर पाए और उन्होंने इसे परमेश्वर का कार्य माना।

“तब मिट्टी की धूल से जूं उत्पन्न हो गईं, और वे मनुष्यों और पशुओं दोनों पर फैल गईं।” (निर्गमन 8:17)

यह विपत्ति मिस्र के देवता गेब (Geb), जो धरती का देवता था, के खिलाफ थी।


4. मक्खियों की विपत्ति (The Plague of Flies)

चौथी विपत्ति में बड़ी संख्या में मक्खियाँ मिस्र में फैल गईं। मक्खियों ने मिस्रवासियों को बहुत परेशान किया और उनकी भूमि को नष्ट करना शुरू कर दिया।

फिर ऐसा हुआ कि फिरौन के महल और उसके सारे सेवकों के महल में घरों में मक्खियों का बड़ा झुंड भर गया, और पूरे मिस्र देश के चारों ओर मक्खियों ने ऐसा उपद्र मचाया कि सारा मिस्र देश घबरा गया और सारे लोग डर गए।” (निर्गमन 8:24)

यह विपत्ति मिस्र के देवता केत (Khepri), जो कीड़ों और मक्खियों का देवता था, के विरुद्ध थी।


5. मवेशियों पर महामारी (The Plague on Livestock)

पाँचवी विपत्ति में मिस्र के मवेशियों पर गंभीर महामारी आई। बैल, गाय, भेड़-बकरी समेत सभी जानवर मरने लगे।

“इस्राएलियों के पशुओं में से एक भी नहीं मरेगा। और परमेश्वर ने एक निश्चित समय तय किया…” (निर्गमन 9:4-6)

यह विपत्ति मिस्र के देवता हाथोर (Hathor) और एपिस (Apis) के विरुद्ध थी, जिन्हें गाय और बैल के रूप में पूजा जाता था।


मिस्र पर 10 विपत्तियाँ वीडियो


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6. फोड़ों की विपत्ति (The Plague of Boils)

छठी विपत्ति में मनुष्यों और जानवरों दोनों के शरीर पर फोड़े-फुंसियाँ निकल आईं। परमेश्वर ने राख को हवा में उड़ाने का निर्देश दिया, जिससे यह विपत्ति फैल गई।

“और राख को पूरे मिस्र में उड़ा दिया जाएगा, जिससे मनुष्यों और जानवरों के शरीर पर फोड़े उभर आएंगे।” (निर्गमन 9:10)

यह विपत्ति चिकित्सा के देवता इम्होटेप (Imhotep) के विरुद्ध थी।


7. ओलों की विपत्ति (The Plague of Hail)

सातवीं विपत्ति में परमेश्वर ने ओलों की बौछार की। यह ओले इतनी भयानक थी कि खेतों की फसलें और पेड़ नष्ट हो गए और इंसान व जानवरों को भी नुकसान हुआ।

“तब परमेश्वर ने ओले गिराए, और इन ओलों के साथ आग भी धरती पर गिरने लगी।” (निर्गमन 9:24)

यह विपत्ति नूत (Nut) और ओसिरिस (Osiris) जैसे मौसम और कृषि के देवताओं के विरुद्ध थी।


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8. टिड्डियों की विपत्ति (The Plague of Locusts)

आठवीं विपत्ति में टिड्डियों ने मिस्र की सारी फसलें खा लीं। पहले से हुई ओलों की विपत्ति के बाद यह टिड्डियों का हमला मिस्र की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह नष्ट कर देने वाला था।

“और मिस्र में टिड्डियों के इतने बड़े झुंड आ गए कि उन्होंने हर जगह को ढक लिया।” (निर्गमन 10:14)

यह विपत्ति कृषि देवता ओसिरिस को चुनौती थी।


9. अंधकार की विपत्ति (The Plague of Darkness)

नौवीं विपत्ति में पूरे मिस्र देश में तीन दिनों तक घोर अंधकार छाया रहा। यह अंधकार इतना गहरा था कि लोग अपने स्थान से हिल भी नहीं पाए।

“और तीन पूरे दिन तक मिस्र में घना अंधेरा छा गया, जिससे कुछ भी दिखाई नहीं दिया।” (निर्गमन 10:22)

यह विपत्ति मिस्र के प्रमुख देवता रा (Ra) को चुनौती थी, जिसे सूर्य का देवता माना जाता था।


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10. पहलौठे पुत्रों की मृत्यु (The Death of the Firstborn)

दसवीं और अंतिम विपत्ति सबसे विनाशकारी थी। इस विपत्ति में मिस्र के हर घर का पहलौठा पुत्र मर गया, चाहे वह आम आदमी का हो या फिरौन का।

“और मिस्र में हर पहलौठा मरेगा, फिरौन के बेटे से लेकर हर घर के पहले जन्म तक।” (निर्गमन 11:5)

इस विपत्ति के दौरान, परमेश्वर ने इस्राएलियों को आदेश दिया कि वे अपने दरवाजों पर मेमने का लहू लगाएँ ताकि मृत्यु का दूत उनके घरों को छोड़ दे। इस घटना को “पासओवर” (Passover) कहा गया।


मिस्र पर 10 विपत्तियाँ और उसका निष्कर्ष

मिस्र पर भेजी गई ये 10 विपत्तियाँ केवल प्राकृतिक आपदाएँ नहीं थीं, बल्कि परमेश्वर की शक्ति और मिस्रवासियों के देवताओं की कमजोरी का प्रमाण थीं। परमेश्वर ने इन विपत्तियों के माध्यम से फिरौन की हठधर्मिता को तोड़ा और इस्राएलियों को गुलामी से मुक्ति दिलाई। ये घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि परमेश्वर न केवल सर्वशक्तिमान है, बल्कि वह अपने लोगों की पुकार सुनता है और उनके उद्धार के लिए कार्य करता है।

परमेश्वर ने कहा, मैं ही वह परमेश्वर हूँ, जिसने तुझे मिस्र देश की गुलामी से निकालकर आज़ाद करके निकल लाया है।” (निर्गमन 20:2)


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