योना नबी की कहानी Page No. 2
जहाज के लोगों को योना नबी का उत्तर
योना ने उत्तर दिया, मैं इब्रानी हूं, मैं उस प्रभु अपने महान परमेश्वर की आराधना करता हूं जिसने पृथ्वी और समुद्र को बनाया है। फिर यूं ना उन्हें बताने लगा कि वह अपने प्रभु से दूर भाग रहा था। यह सुनकर जहाज के नाभिक बहुत डर गये और योना से कहने लगे, यह तुमने बहुत ही भयंकर काम किया है! इस बीच आंधी लगातार तेज होती जा रही थी। तब नाविकों ने उससे पूछा, हम इस आंधी को रोकने के लिए तेरे साथ क्या करें?
योना ने उत्तर दिया, मुझे उठा कर समुद्र में फेंक दो तो आंधी शांत हो जाएगी। मैं जानता हूं कि मेरी ही गलती के कारण तुम इस भयंकर आंधी में फस गए हो। फिर भी नाविकों ने पूरी कोशिश की कि वे जहाज को किसी तरह किनारे तक ले जाएं। परंतु आंधी की भयानक था बढ़ती गई और वह किनारे तक नहीं पहुंच पाए। इसलिए उन्होंने यहोवा परमेश्वर को पुकार कर कहा, हे प्रभु! हम तुम से विनती करते हैं कि हमें मृत्यु देकर दंडित ना कर, ना ही इस पुरुष की जान ले! हे प्रभु, तूने ही यह सब होने दिया। तू इन बातों को इस तरह होने देना चाहता था।
तब जहाज के नाविकों ने योना को उठाकर समुद्र में फेंक दिया। उसके बाद समुद्र की लहरें उसी समय शांत हो गई! इस बात से वे नाविक इतना डर गए कि उन्होंने बलिदान चढ़ाकर परमेश्वर की आराधना करने की प्रतिज्ञा की।(योना 1:7-16,)
मछली के पेट में योना | Jonah in the belly of the fish
योना नबी की कहानी में आगे हम देखते हैं, जब जहाज के नाभि कौन है योना नबी को उठाकर समुद्र में फेंक दिया। तब प्रभु की आज्ञा पाकर एक बड़ी मछली ने आकर योना को निगल लिया। और योना उस बड़ी मछली के पेट में तीन दिन और तीन रात तक पढ़ा रहा।
मछली के पेट से योना की प्रार्थना
जब योना नबी मछली के पेट में था, तब उस मछली के पेट से योना नबी ने प्रभु परमेश्वर से इस प्रकार प्रार्थना किया।
हे प्रभु, जब मैं अपनी सारी शक्ति खो रहा था, तब मैंने तुझे पुकारा और तूने मेरी प्रार्थना को सुन लिया। वे लोग जो मूर्तियों की उपासना करते हैं, उन्हें तुझ पर कोई विश्वास नहीं है। परंतु मैं तेरे लिए धन्यवाद के गीत गाऊंगा। मैं तेरे लिए बलिदान चढ़ाऊंगा, और वह काम करूंगा, जिसकी मैंने प्रतिज्ञा की है।
तब प्रभु की आज्ञा से उस मछली ने योना नबी को समुद्र के किनारे तट पर उगल दिया।
योना ने परमेश्वर की आज्ञा को माना | Jonah obeyed God’s command
एक बार फिर परमेश्वर ने योना से बातचीत की। परमेश्वर ने योना को उस बड़े नगर नीनवे को जाने को कहा, और यह भी कहा कि जो संदेश मैंने तुझे दिया है, उसका प्रचार कर। तब योना परमेश्वर की आज्ञा को मानकर नीनवे को गया। उस नगर को चलकर पार करने में तीन दिन लगते थे। पूरे एक दिन तक चलने के बाद योना ने चिल्लाकर कहा, “अब से चालीस दिनों के अंदर नीनवे नगर नष्ट हो जाएगा!”
नीनवे के लोगों ने परमेश्वर के संदेश पर विश्वास किया। उन्होंने यह निश्चय किया कि उस नगर के सभी लोगों को उपवास करना चाहिए। उन समूह ने यह दिखाने के लिए टाट पहन लिया कि वे अपने पापों से मन फिर आ चुके हैं। यहां तक कि राजा ने भी टाट पहन लिया और और वह राख पर बैठ गया। उसने अपने लोगों को यह संदेश भिजवाया, यह राजा और उसके अधिकारियों की ओर से आदेश है कि सभी लोग, पशु और भेड़ें बिना भोजन पानी के रहे। सभी लोग और पशु भी टाट ओढ़ ले। लोगों को अपने पूरे मन से परमेश्वर से प्रार्थना करनी जरूरी है। उन्हें अपने दुष्ट मार्गों को छोड़ना जरूरी है। संभव है, कि परमेश्वर अपना क्रोध छोड़ दें तब हम नहीं मरेंगे
परमेश्वर ने नीनवे के लोगों के इस व्यवहार को देखा। उसने देखा कि उन्होंने गलत कार्यों को करना छोड़ दिया है। इसीलिए जैसा कि उसने कहा था कि वह उन्हें दंड देगा उसने उन्हें दंड नहीं दिया। (योना 3:1-10)
योना का क्रोध और परमेश्वर की दया | Jonah’s Wrath and God’s Mercy
जब परमेश्वर ने नीनवे के लोगों का मन फिराना देखकर उन्हें क्षमा कर दिया। तो योना इस बात से बहुत प्रसन्न था की परमेश्वर ने नीनवे के लोगों को उनके पापों का दंड नहीं दिया। वह क्रोध से भर गया। इसीलिए उसने यह प्रार्थना की,
हे प्रभु, मैं जानता था कि तू यही करेगा। यही कारण था कि मैं ने तर्शीश को भाग जाने की भरपूर कोशिश की थी! मैं जानता था कि तू एक प्रेमी और दयालु परमेश्वर है। तू सदा से प्रेमी, कृपालु और लोगों को दंडित ना करने वाला परमेश्वर रहा है। इसलिए अब हे प्रभु, मुझे मर जाने दे। मैं अब और जीना नहीं चाहता।
योना को परमेश्वर का उत्तर
परमेश्वर ने उसे उत्तर दिया, “तुझे इस तरह क्रोधित होने का क्या अधिकार है?”
यह सुनकर योना नगर के पूर्वी और गया और कुछ दूर जाकर बैठ गया। उसने अपने लिए एक छायादार मंडप सा बनाया और उसके नीचे बैठ गया। वह इस बात की प्रतीक्षा में था कि नीनवे नगर के साथ अब क्या होगा। तब प्रभु परमेश्वर ने एक पौधे को उस मंडप के ऊपर तक बढ़ने दिया। योना उस पौधे के कारण बहुत खुश था, क्योंकि वह पौधा उसे दोपहर के समय छाया दे रहा था। परंतु दूसरे दिन जल्दी ही एक कीड़े ने उस पौधे को नष्ट कर दिया। और सूरज निकलने के बाद परमेश्वर ने बहुत गर्म पूर्वी हवा चलाई। योना सूरज की उस गर्मी के कारण बेहोश होने ही वाला था। उसने उस दुख के कारण मर जाना चाहा।
परंतु परमेश्वर ने उससे कहा, तुझे उस पौधे के चलते क्रोधित होने का क्या अधिकार है? योना ने उत्तर दिया, मुझे क्रोधित होने का पूरा अधिकार है। मैं इतना क्रोधित हूं कि मर जाना चाहता हूं। परमेश्वर ने फिर योना से कहा, यह पौधा रात भर में बड़ा और दूसरे दिन नष्ट हो गया। तूने इस पौधे को ना तो लगाया था, ना बढ़ाया था। फिर भी तुझे इस पौधे के लिए दुख है! फिर मुझे नीनवे के लिए और कितना अधिक दुखी होने की जरूरत है, वह बड़ा नगर जिसमें एक लाख बीस हजार से अधिक मनुष्य हैं। और बहुत सारे पशु भी इस नगर में रहते हैं, तो क्या मैं इस नगर पर तरस ना खाऊं? (योना 4:1-11,)
यह कहानी दुष्ट लोगों के प्रति परमेश्वर के क्षमाशील प्रेम को प्रकट करती है, जो अपने पापों से मन फिरते हैं।
FAQ
Ques – 1 योना कौन थे?
Ans. योना एक नबी (भविष्यद्वक्ता) था। मैं एक ऐसा भविष्यवक्ता था जो परमेश्वर के हृदय की बातों को अच्छी रीति से जानता और समझता था। योना ने परमेश्वर को नहीं माना, फिर भी परमेश्वर ने उस काम को उसी के द्वारा कराया। और परमेश्वर ने योना को अपने असीम प्रेम को दिखाया। कि कैसे परमेश्वर पश्चाताप करने वालों को क्षमा कर देते हैं।
Ques – 2 योना को मछली ने क्यों खा लिया?
Ans. जब योना परमेश्वर की आज्ञा ना मानकर उस नगर को जहां पर परमेश्वर ने उसे जाने के लिए कहा था, छोड़कर किसी दूसरे नगर की ओर जाने के लिए जहाज पर चढ़ा। तो परमेश्वर ने समुद्र में आंधी चलाई जिसके कारण जहाज के लोगों ने योना को उठाकर समुद्र में फेंक दिया। और योना को एक बड़ी मछली ने निगल लिया। उस मछली के पेट में योना 3 दिन और तीन रातों तक रहा। फिर उस मछली ने योना को समुद्र के तट पर उगल दिया।
Ques – 3 योना की घटनाएँ कब हुई?
Ans. ईसा पूर्व लगभग आठवीं शताब्दी में योना की घटनाएँ हुई। इसका उल्लेख है, 2 राजा 14:25 में किया है। (786-746 ईसा पूर्व) में यारोबाम द्वितीय के शासनकाल के दौरान बताता गया है। लेकिन योना की पुस्तक में ऐसा कोई भी विवरण या जानकारी का उल्लेख नहीं किया गया है, जो कि इस विषय में पक्की जानकारी दें। या फिर इस तारीख को पक्का ठहरा है।
Ques – 4 योना ने परमेश्वर की आज्ञा को क्यों नहीं माना?
Ans. परमेश्वर ने योना को यह आज्ञा दी थी, कि वह नीनवे नगर में जाकर वहां के लोगों के दुष्टता के बारे में उन्हें चेतावनी दे। कि वह अपनी दुष्ट मार्ग से फिरे वरना परमेशर उन्हें नष्ट कर डालेगा। नीनवे के लोग इजराइल के घातक दुश्मन थे, इसलिए योना वहां नहीं जाना चाहता था। वहां जाने से डरता था। इसीलिए वह उस नगर की ओर ना जाकर दूसरी दिशा में किसी और नगर की ओर जाने के लिए जहाज पर चल गया।