याकूब और एसाव की कहानी | Jacob And Esau Story

याकूब और एसाव की कहानी | Jacob And Esau Story

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Page No. 2

याकूब और एसाव की कहानी में आगे

उसकी मां ने उससे कहा, मेरे पुत्र तुम चिंता मत करो, श्राप मुझ पर पड़े। तुम जाकर बकरी के बच्चे ले आओ, मैं पकाकर तुझे दूंगी और बताऊंगी कि तुझे क्या करना है। इस प्रकार याकूब उसके पास बकरी के बच्चे ले आया, और उसने उसके पिता के लिए स्वादिष्ट भोजन पकाया। तब उसने एसाव के सबसे अच्छे वस्त्र लिए और याकूब को पहनाए। उसने बकरियों की खाल उसके हाथों और गले में लपेट दिया। उसने उसे स्वादिष्ट भोजन और रोटी दी जो उसने पकाई थी। तब याकूब अपने पिता के पास गया। उत्पत्ति 27:10-17

याकूब और एसाव की कहानी | Jacob And Esau Story

याकूब अपने पिता के पास जाना | Jacob going to his father

याकूब अपने पिता इसहाक पास गया और कहने लगा। पिता जी! इस पर इसहाक ने पूछा, तू कौन है मेरे पुत्र? इस पर याकूब ने अपने पिता को उत्तर दिया। मैं तेरा पहिलौठा पुत्र एसाव हूं। मैंने तेरे कहने के अनुसार वैसा ही किया है जैसे तूने मुझसे कहा था। कृपया उठें और इस मांस को खाए जो मैं आपके लिए पका कर लाया हूं। उसके बाद मुझे आशीष भी दे। इसहाक ने कहा, मेरे पुत्र तू इतनी जल्दी शिकार से कैसे लौट आया? तुझे इतनी जल्दी यह कैसे मिल गया? इस पर याकूब ने अपने पिता को उत्तर दिया, इस काम के लिए तेरे प्रभु परमेश्वर ने मेरी सहायता की है।उत्पत्ति 27:18-20

इसहाक नहीं याकूब से कहा, मेरे निकट आ। मैं तुझे छू कर देखो। क्या तुम सच में एसाव है? याकूब अपने पिता के निकट आया। इसहाक ने उसे छुआ और कहा, बोल से तो तू याकूब लग रहा है, परंतु तेरे हाथ एसाव के ही से लगते हैं। इसहाक इस बात को ना जानता था, कि वह या याकूब ही है। क्योंकि उसके हाथ में एसाव समान बाल थे। इससे पहले कि वह आशीष देता, इसहाक ने पुनः उससे पूछा, क्या तू सच में एसाव ही है? याकूब ने अपने पिता को फिर से उत्तर दिया, हां मैं हूं। उत्पत्ति 27:21-24

इसहाक के द्वारा याकूब को आशीष दिया जाना

इसहाक ने अपने बेटे याकूब से कहा, मेरे पास कुछ मांस ला। उसे खाने के बाद मैं तुझे आशीष दूंगा। फिर याकूब ने थोड़े दाखमधु के साथ मांस अपने पिता इसहाक के पास ले आया। तब उसके पिता ने उसे कहा हे मेरे पुत्र, मेरे पास आकर मुझे चूम। जैसे ही याकूब उसके पास चुनने के लिए आया, इसहाक ने उसके वस्त्रों को सुंघा। और उससे कहा मेरे पुत्र की सुगंध, ऐसे खेत की सुगंध के समान है, जिसे प्रभु ने आशीष दी हो, परमेश्वर आकाश से तुझे ओस दे और तेरे खेतों को उपजाऊ करें। वह तुझे बहुत सा अनाज और दाखमधु दे। तुझे आदर मिले और बहुत लोग तेरी सेवा करें। वह अपने लोगों पर राज्य करें और वह तेरा आदर करें। परमेश्वर उन्हें श्राप दे जो तुझे श्राप दे और उन्हें आशीष दे जो तुझे आशीष दे। उत्पत्ति 27:24-29,

इसहाक और एसाव को धोखे का पता चलना

इसहाक ने याकूब को आशीष देना समाप्त किया। जैसे ही वह वहां से गया उसका भाई एसाव शिकार करके लौट आया। उसने भी स्वादिष्ट भोजन पकाया और अपने पिता के पास ले आया। और अपने पिता से कहा, हे पिता कृपया उठ कर बैठी है और यह मांस जो मैं लाया हूं खाइये और मुझे आशीष दीजिए। इसहाक ने उससे पूछा तू कौन है? उसने उत्तर दिया, मैं आपका पहिलौठा पुत्र एसाव हूँ। सहायक थर थर कांपने लगा! उसने पूछा तब वह कौन था जो मेरे लिए मांस लाया था? तेरे आने से पहले ही मैंने वह खाया। और मैंने उसे आशीष दे दी है, और उसे मैं लौटा कर वापस नहीं ला सकता।

जब एसाव ने यह सुना, वह बहुत परेशान हुआ। और चिल्लाकर रोया और कहा, हे पिता, मुझे भी आशीष दीजिए। इसहाक ने से उत्तर दिया, तेरे भाई ने मुझे धोखा दिया है। उसने तेरी आशीष ए छीन ली है। एसाव ने कहा यह दूसरी बार है जब उसने मुझे धोखा दिया है। इसमें आश्चर्य नहीं उसका नाम याकूब है। उसने मेरे पहिलौठे पुत्र होने का अधिकार को ले लिया और अब उसने मेरी आशीशों को भी ले लिया है। क्या आपके पास मेरे लिए एक भी आशीष नहीं है? उत्पत्ति 27:30-37,

इसहाक द्वारा एसाव को आशीष मिलना

इसहाक ने उत्तर दिया, मैं तो पहले ही याकूब को आशीष दे चुका हूं। वह तो तुझ पर राज करेगा। उसके सब रिश्तेदार उसकी सेवा करेंगे। उसके पास अनाज और दाखमधु भी होगा। पुत्र तेरे लिए अब कोई आशीष नहीं बची है। परंतु एसाव अपने पिता के सामने गिड़गिड़ा ता रहा, हे पिता, क्या आपके पास एक ही पुत्र के लिए आशीष थी? हे पिता! मुझे भी आशीष दे! और वह रोने लगा। तब इसहाक ने उससे कहा, आकाश से तेरे लिए ओस नहीं है, ना ही तेरे लिए अच्छे खेत हैं। तू अपने भाई का दास होगा, परंतु तू एक योद्धा होगा। जब तू लड़ेगा,। तब तू स्वतंत्र मनुष्य हो जाएगा।एसाव याकूब से घृणा करने लगा, क्योंकि उसके पिता ने याकूब को आशीष दे दी थी। उसने सोचा मैं अपने पिता के मरने की प्रतीक्षा करूंगा। तब मैं उसे मार डालूंगा। उत्पत्ति 27:38-41,

याकूब और एसाव की कहानी | Jacob And Esau Story

आगे की कहानी Page No. 3 में दिया गया है।

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