उपवास कैसे रखें? | How to keep fast?

उपवास कैसे रखें? | How to keep fast?

सभी भाई बहनों को जय मसीह की,  Yeshu Aane Wala Hai Blog मैं स्वागत है। इस लेख में हम  उपवास कैसे रखें? इसके विषय में अच्छे से जानेगें। इस विषय पर अलग-अलग लोगों का अलग-अलग विचार और नजरिया है। जब भी हम उपवास या उपवास प्रार्थना की बात करते हैं, तो बहुत सारे लोगों को यह पता नहीं होता है, कि किस प्रकार से उपवास करना है, या फिर किस प्रकार से उपवास करने के विषय में बाइबल में कहा गया है।

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इसलिए आज इस लेख के माध्यम से मैं आप लोगों को उपवास कैसे रखें? उपवास कितने दिन का रखे? उपवास रखने का सही तरीका क्या है? उपवास मे क्या खाएं ? इन सारे विषयों के बारे में बहुत ही विस्तार से बताने वाला हूं।

उपवास क्या होता है? | What is fasting?

उपवास का सही अर्थ क्या है? उपवास आत्मिक उन्नति, आत्मिक उदेश्य, किसी विशेष विषय के लिए, या फिर कोई निर्णय लेने के लिए, जल-भोजन को छोड़ कर पूरा समय परमेश्वर के वचन को पढ़ने और प्रार्थना, और आत्मिक संगती में समय बिताने को उपवास कहा जाता है। उपवास अपने आपको परमेश्वर के सम्मुख नम्र और दीन करने के लिए भी किया जाता है।

उपवास क्यों रखते है? | Why do you keep fast?

उपवास परमेश्वर की ओर से एक आज्ञा है, यहोवा परमेश्वर ने अपने लोगों को दी थी, कि परमेश्वर के लोग उपवास के साथ अपना मन फिराकर यहोवा परमेश्वर के पास आए। परमेश्वर चाहते हैं, कि हम सभी उपवास के साथ उसके सम्मुख जाएं। (योएल 2:12)

 

प्रभु परमेश्वर जिस उपवास से मैं प्रसन्न होते है, वह उपवास ये है, कि लोग परमेश्वर के हृदय के अनुसार उपवास करें, और परमेश्वर पर ही संपूर्ण रूप से निर्भर हो जाएं। और जब लोग इस प्रकार से उपवास करते हैं तो परमेश्वर उनके देश को जहां वो रहते हैं, और उनके पूरे परिवार को आशीष देते हैं।(यशायाह 58:6 )

 

पहली शताब्दी की कलीसिया का उपवास | Fasting of the first century church

पहली सदी के चर्च के लोग हम सभी मसीही विश्वासियों के लिए एक उत्तम उदाहरण है। पहली शताब्दी की कलीसिया में हर एक महत्वपूर्ण कार्य या निर्णय लेने से पूर्व वे परमेश्वर के सामने उपवास करके प्रार्थना किया करते थे। उस समय वे लोग हर एक कलीसिया में उपवास सहित प्रार्थना करके की इच्छा को अपने कलीसिया में मांगा करते थे। और फिर परमेश्वर उनके कामों को सफल करते थे।(प्रेरित 14:23) इस विषय में हम प्रेरितों के काम की किताब में एक घटना के विषय में पढ़ सकते हैं, जहां पर उपवास प्रार्थना के दौरान पवित्र आत्मा ने उन लोगों का मार्गदर्शन किया। (प्रेरित 13:2)

 

पुराने नियम से उदाहरण | Examples from the old testament

पुराने नियम में भी हम अनेक ऐसे उदाहरणों को देख सकते हैं, जहां पर लोगों ने उपवास के साथ प्रार्थना किया और फिर परमेश्वर ने उन सभी की प्रार्थना को सुना,और उन सभी के जीवन में अद्भुत चमत्कार भी हुए। उदाहरण के लिए हम दानिय्येल को देख सकते हैं, जोकि उपवास के साथ प्रार्थना किया करता था। (दानिय्येल 9:3) इस कारण से परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना का उत्तर भी दिया। और उसके कारण पूरे संसार के लोगों ने सच्चे परमेश्वर को भी पहचाना। दानियाल को परमेश्वर ने शेर के मांद से बचाया, और उसके दोस्तों को धड़कते आग की भट्टी से जीवित निकाला था। इससे पर मिश्र की नाम की महिमा हुई।।

 

उपवास कैसे रखें? | How to keep fast?

 

 

उपवास कैसे रखें? | उपवास कितने प्रकार के होते हैं ?

मुख्य रूप से लोग पांच प्रकार से उपवास करते हैं, बाइबिल में भी लोगों ने इन्हीं पांच प्रकारों से उपवास किया करते थे। यह है बे पांच प्रकार के उपवास जिन्हें उस समय के लोग किया करते थे।

उपवास के कुछ प्रकार यह हैं। | These are some types of fasting.

पहला उपवास – पहला उपवास इस प्रकार से है इस उपवास में लोग किसी भी प्रकार से कोई भी भोजन या जल को ग्रहण नहीं किया करते हैं, सही मायने में यही एक संपूर्ण उपवास का तरीका होता है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई फल या फल का जूस भी लोग नहीं पीते हैं। इस तरह के संपूर्ण उपवास प्रभु यीशु मसीह ने भी किया था। (मत्ती 4:1-2,) (नोट : स्वस्थ व्यक्ति ही इस उपवास को करें।)

दूसरा उपवास- दूसरा उपवास करने वाले व्यक्ति भोजन को तो त्याग देता है, परंतु थोड़ा बहुत जल या फलों का जूस अथवा कभी-कभी चाय का सेवन कर सकते है। इस प्रकार के उपवास को हम सामान्य उपवास कह सकते हैं, क्योंकि इसमें संपूर्ण रीति से निर्जल और निराहार वास नहीं होता है। ऐसे उपवास को वे लोग कर सकते हैं जो कि शारीरिक रूप से संपूर्ण उपवास करने में सक्षम नहीं है वे लोग इस प्रकार से भी उपवास कर सकते हैं। (नोट : यह सामान्य प्रकार लिया जाने वाला उपवास है)

तीसरा उपवास- इस प्रकार के उपवास को एक आत्मिक उपवास की श्रेणी में रख सकते। क्योंकि इस प्रकार के उपवास में ना केवल भोजन का त्याग करना होता है, इसके साथ ही साथ जीवन की तमाम बुराइयों से अलग रहकर और तमाम आधुनिक उपकरणों से भी खुद को अलग रखकर उपवास करना पड़ता है। जैसे कि मोबाइल फोन या फिर कंप्यूटर इत्यादि, इनसे भी खुद को पूरी तरह से दूर रख कर पूरा समय परमेश्वर के साथ बिताते हुए, प्रार्थना और वचन का मनन किया जाता है। उस दिन आप भूखे या जरूरतमंदों को दान भी कर सकते हैं। यह एक ऐसा उपवास है जिससे परमिशन भी प्रसन्न रहते हैं। (यशायाह 58:6-7,)

जरूर पढ़ें :- प्रभु भोज कौन ले सकता है?

चौथा उपवास- यह एक ऐसा उपवास है जिसे आज के समय में बहुत सारे मसीही लोग करते हैं, इस उपवास को हम कपटियों का उपवास कह सकते हैं। क्योंकि स्वयं प्रभु यीशु मसीह ने इसके विषय में कहा है। (मत्ती 6:16, लूका 18:11) इन वचनों में प्रभु यीशु मसीह ने कहा जो कोई दूसरों को दिखाने के लिए उपवास रखता है, उस का उपवास कपटियों के उपवास के जैसा है। जैसे कि फरीसी और सदुकी लोग किया करते थे। ताकि लोग उनको उपवासी जानकर उनकी वाहवाही करें। बल्कि परमेश्वर तो ऐसे उपवास से प्रसन्न होते हैं, जो दिखाने के लिए नहीं परंतु परमेश्वर के वचन के अनुसार होता है। और जो कोई दिखाने के लिए उपवास करता है उसका प्रतिफल उसे मिल चुका है, परंतु जो लोग परमेश्वर की इच्छा के अनुसार उपवास करते हैं उन लोगों को परमेश्वर जो गुप्त में हैं प्रतिफल देता है।

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उपवास कैसे रखना चाहिए? | How to keep fast?

उपवास रखने से पहले इन बातों का ध्यान रखें, कि उपवास लोगों को दिखाने के लिए नहीं होना चाहिए।:- मनुष्य को दिखाने के लिए या फिर उनको प्रभावित करने के लिए उपवास कभी भी ना करें। (मत्ती 6:16) प्रभु यीशु मसीह ने कहां था एक व्यक्ति को किस प्रकार से उपवास करना चाहिए, और यह भी कि एक व्यक्ति को किस रीती का उपवास नहीं करना चाहिए। यदि आप लोगों को दिखाने के लिए उपवास कर रहे हैं, तो आपको आपके स्वर्गीय पिता परमेश्वर जोकि गुप्त की बातों को देखते हैं, उनसे आपको कोई भी प्रतिफल नहीं मिलेगा।

सामूहिक रूप में उपवास प्रार्थना।

बाइबल में ऐसे अनेकों उदाहरण हैं, जहां पर हम देख सकते हैं कि लोग सामूहिक रूप से उपवास प्रार्थना किया करते थे, और फिर परमेश्वर उन्हें उस उपवास प्रार्थना का उत्तर भी दिया करते थे। जैसे कि नीनवे के लोगों ने जब सामूहिक रूप से उपवास प्रार्थना करके परमेश्वर से क्षमा मांगा। (योना की किताब) तो परमेश्वर ने उन लोगों के पूरे देश को नाश करने का जो निर्णय लिया था, उसे फिर नाश नहीं किया। और राजा यहोशापात के विषय में भी हम जान पाते हैं, जब उस पर शत्रु ने चढ़ाई किया तब उसने उपवास के साथ प्रार्थना किया, और परमेश्वर ने उसको शत्रु पर विजय किया।

उपवास कैसे रखें? | How to keep fast?
नीनवे देश के लोगों का उपवास प्रार्थना

अकेले में उपवास प्रार्थना।

हम सभी को अकेले में भी उपवास प्रार्थना करना चाहिए, जो कि हमारा व्यक्तिगत उपवास प्रार्थना हो। मत्ती 6:17-18, के अनुसार जब कोई व्यक्ति उपवास रखता है तो वह इस प्रकार से उपवास ना करें, कि लोग उसे देखकर ही उपवास ही जान जाए। परंतु वह अपने सिर पर तेल लगाए, मुंह धोए, और फिर उपवास में बैठे। ताकि लोगों को ये ना लगे, कि यह व्यक्ति उपवास में है। ऐसे में पिता परमेश्वर जो गुप्त में देखते हैं उसे प्रतिफल देगा।

उपवास के साथ प्रार्थना।

उपवास करना कोई भूख हड़ताल करना नहीं होता है, कि आप दिनभर कुछ खाते पीते नहीं हैं, फिर शाम होते ही भरपेट खाना खा लेते हैं। नाही जिस दिन आप ने उपवास रखा है उस दिन सुबह थोड़ी देर प्रार्थना कर लेते हैं, और फिर शाम को प्रार्थना करके उपवास खोल देते हैं। यह किसी भी प्रकार से उपवास प्रार्थना नहीं है। बल्कि जब एक व्यक्ति उपवास के साथ बैठे तो उसके लिए जरूरी है कि वह प्रार्थना भी करें, साथ ही साथ बाइबिल का अध्ययन करे। यदि आप उपवास के दिन प्रार्थना ही नहीं करते हैं तो फिर वह उपवास नहीं कहलाएगा।

उपवास रखकर पूरे दिन अगर आप अपने कामकाज करते हैं जैसे की नौकरी या कोई व्यवसाय, और फिर शाम को घर पर आकर उपवास खोल देते हैं तो यह भी एक उपवास नहीं माना जाएगा। और ना ही उपवास रखकर पूरे दिन घर में बिस्तर के अंदर सोते रहे, यह भी उपवास नहीं माना जाएगा। वरन होना तो यह चाहिए कि जब कोई उपवास करें, तो उसे प्रार्थना और वचन में निरंतर समय बिताने की आवश्यकता है। जिस दिन आप उपवास रखें उस दिन आप कोई काम काज ना करें।

उपवास के लाभ और सावधानियां| Benefits and precautions of fasting

जब भी परमेश्वर के लोगों ने और दास दासीयों ने उपवास रखकर प्रार्थना किया है, तो परमेश्वर ने उनके जीवन में बहुत बड़े-बड़े चमत्कार और अद्भुत कामों को किया। अगर आप एक सही मकसद से उपवास प्रार्थना करते हैं, तो वह उपवास एक बड़े काम या आशीष को आपके जीवन में लेकर आती है। बाइबल में बहुत बार ऐसा हुआ है, कि जब लोगों ने उपवास के साथ प्रार्थना किया, तो परमेश्वर ने उनके प्रार्थना का उत्तर दिया, और उनके जीवन में बहुत अद्भुत काम हुए।

उपवास से जीवन में नम्रता और दीनता आती है

जब एक व्यक्ति बाइबल के वचन के अनुसार उपवास रखता है, तो उसके जीवन में नम्रता और दीनता आती है। वह व्यक्ति परमेश्वर को वचन को सीखता है और जिसके कारण परमेश्वर की आत्मा उसके जीवन में काम करते हैं, और वह व्यक्ति पहले से और अधिक नंबर और दिन बन जाता है। एनी बेटा चिल्लाओ नहीं बेटा

उपवास करने से विपत्तियां टल जाती हैं

जब आप किसी विपत्ति में होते हैं, तब अगर आप उपवास रखते हैं उस विपत्ति के हट जाने के लिए, तो परमेश्वर आपके जीवन से उस विपत्ति को हटा देते हैं। जैसा कि हमने योना की किताब में नीनवे देश के लोगों के विषय में पढ़ा है। कि कैसे उनके देश में जो विपत्ति आने वाली थी। उस देश के लोगों के उपवास करने की वजह से और पश्चाताप करने की वजह से परमेश्वर ने उस विपत्ति को उनके देश से हटा दिया था।


 

 

FAQ

Ques – 1 उपवास में क्या क्या करना पड़ता है?

जब भी आप उपवास रखें, तो सुबह से लेकर शाम तक कुछ खाए पिए नहीं, और पूरा दिन वचन पढ़ने और प्रार्थना करने में बताएं। और अगर आप एक स्वस्थ व्यक्ति नहीं हैं, तो आप उपवास के दौरान थोड़ा बहुत जल अथवा चाय ले सकते हैं। नोट:- याद रखिए इस प्रकार के निराहार उपवास केवल पूरी रीती से स्वस्थ व्यक्ति ही रखें ।

Ques – 2 व्रत रखने का सही तरीका क्या है?

उपवास रखने का सही तरीका यह है, कि जब भी आप उपवास रखें, उस दिन आप बाहर का कोई भी कामकाज ना करें परंतु अपने घर में रहकर ही वचन को पढ़ें और प्रार्थना में समय बताएं। और साथ ही साथ इस बात का भी ध्यान रखें, कि एक अच्छा उपवास जो होता है वह पूरे दिन का होता है यानी कि 24 घंटे का।

Ques – 3 उपवास के दिन क्या क्या खाना चाहिए?

वैसे तो उपवास का मतलब ही होता है मेरा निराहार रहना, परंतु कई बार कुछ लोग ऐसे होते हैं जो शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं होते, ऐसे लोगों को उपवास के समय थोड़ा बहुत जल और थकान होने पर चाय ले सकते हैं। परंतु अगर आप उपवास के समय कुछ आहार लेते हैं तो फिर वह उपवास नहीं होगा।

Ques – 4 कितने घंटे का उपवास रखना चाहिए?

आमतौर पर लोग केवल 12 घंटे का उपवास रखना पसंद करते हैं जैसे कि सुबह से लेकर शाम तक, परंतु अगर हम 1 दिन की बात करते हैं तो 1 दिन का मतलब होता है 24 घंटे यानी कि दिन और रात। इसलिए यदि आप 1 दिन का उपवास रखते हैं तो कोशिश कीजिए कि आप 24 घंटे का उपवास रखें। परंतु अगर कुछ लोग 24 घंटे वास नहीं रख सकते हैं तो वह 12 घंटे का भी उपवास रख सकते हैं।

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